इन्दौर/खरगोन आज मोक्षदा एकादशी को सुबह 6बजकर 10 मिनट पर परमहंस सद्गुरसंत सियाराम बाबा का प्रभु मिलन हो गया है। खरगोन के परम पूज्य संत श्री सियाराम बाबा ने शाश्वत यात्रा की ओर प्रस्थान कर लिया है। उनका अंतिम कर्म मां नर्मदा तीरे स्थित भट्यान आश्रम के भट्यान तट पर सायंकाल 04 बजे होगा। सौ वर्षों से अधिक की आयु को प्राप्त कर बाबा ने अपने संतत्व और आध्यात्मिक साधना से असंख्य श्रद्धालुओं के जीवन को आलोकित किया। सियाराम बाबा एक जीवन्त प्रेरणा थे, जिन्होंने अपने तप, त्याग और सेवा से समूचे क्षेत्र को आध्यात्मिक चेतना से भर दिया। उनके सान्निध्य में शांति और दिव्यता का अनुभव होता था। बाबा का समर्पण और उनकी निःस्वार्थ सेवा समाज के हर वर्ग के लिए उदाहरण रही। वे केवल एक संत नहीं, बल्कि युगद्रष्टा थे, जिन्होंने लोकमंगल को अपना धर्म और परोपकार को अपना कर्म माना। वे आश्रम में आने वाले श्रद्धालुओं से चढ़ावे के रूप में केवल 10 रु. ही लेते थे। अगर किसी ने 100 या 500 रुपये दान पात्र में रखे तो वे 10 रुपये रखकर बचे हुए रुपये वापस दे देते थे, उन्हें जब आश्रम के डुबे हुए हिस्से के मुआवजे की राशि मिली थी ती थी तो उन्होने अलग-अलग जगह मंदिरों में इस राशि को दान के रूप में दे दी थी। परमहंस सद्गुर संत श्री सियाराम बाबा श्री हनुमान जी के परम भक्त थे उन्होंने जीवन पर्यंत रामायण का पाठ करते हुए समाज को धर्म, भक्ति और सदाचार का संदेश दिया, उनका सम्पूर्ण जीवन मानवता, धर्म और नर्मदा मैया की सेवा में समर्पित रहा। बाबा पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ थे। इलाज के दौरान भी वे रामायण पाठ कर रहे थे। बाबा जी का निधन देश व धर्म के लिए अपूरणीय क्षति हैं। सियाराम बाबा के महाप्रयाण पर उनके इन्दौरी श्रद्धालुओं में भी मायूसी छा गई। वे भी भट्यान आश्रम पहुंच रहे हैं। हालांकि मुख्यमंत्री डाॅ मोहन यादव भी बाबा का स्वास्थ्य हाल जानने आज दोपहर तीन बजे भट्यान आश्रम पहुंचने वाले थे उसके पहले ही बाबा प्रभु मिलन कर गये।