धार्मिक पर्यटन का नया ट्रेंड, हजारों लोगों को मिलेगा रोजगार
अयोध्या । नए साल का जश्न अब सिर्फ गोवा या पहाड़ी राज्यों तक सीमित नहीं रहा है। इस बार अयोध्या और वाराणसी जैसे धार्मिक स्थलों पर नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। लाखों श्रद्धालु भगवान रामलला के दर्शन कर अपने साल की शुरुआत करना चाहते हैं।
इसके लिए अयोध्या के फोर-स्टार होटल द रामायण के सभी 55 लग्जरी कमरे पहले ही बुक हो चुके हैं। इस होटल का किराया 16 हजार रुपये प्रतिदिन है। यहां 30 दिसंबर से 2 जनवरी तक कोई कमरा उपलब्ध नहीं है। वहीं, अन्य होटल और धर्मशालाओं की भी करीब 88 प्रतिशत बुकिंग हो चुकी है। वहीं एक अन्य होटल के मालिक ने बताया कि उनके 175 कमरे पूरी तरह बुक हैं। अतिरिक्त भीड़ के लिए डोरमेट्री की व्यवस्था की जा रही है, ताकि श्रद्धालुओं को ठंड में कोई असुविधा न हो।
अयोध्या के साथ ही धर्मनगरी वाराणसी के होटल भी पूरी तरह बुक हैं। होटल मैनेजमेंट ने बताया कि पहली बार नए साल पर इतनी भारी संख्या में बुकिंग्स हो रही हैं। टूर गाइड वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमोद मिश्र ने इस पर्यटन उद्योग के लिए बड़ा मौका बताया। अयोध्या के पुलिस क्षेत्राधिकारी, आशुतोष तिवारी ने बताया कि अभी रोजाना 60 से 70 हजार श्रद्धालु अयोध्या पहुंच रहे हैं। नए साल के दौरान यह संख्या 2 से 3 लाख तक पहुंचने की संभावना है। यह देखकर ट्रैफिक डायवर्जन और सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं।
अयोध्या और वाराणसी के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का मथुरा-वृंदावन में पहुंचना शुरू हो गया है। वृंदावन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपने आराध्य बांके बिहारी के दर्शनों के लिए उमड़े। वहीं, आने वाले दिनों के साथ ही नववर्ष पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के यहां पहुंचने की संभावना को देखकर जिला प्रशासन व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में जुट गया है। हालांकि, बुधवार से 2 जनवरी तक यातायात व्यवस्था को देखते हुए वृंदावन में बाहरी वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है।
बता दें कि हर साल दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह और नए साल पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मथुरा-वृंदावन पहुंचते हैं। इसके साथ ही गोकुल, गोवर्धन, बरसाना और नन्दगांव जाकर भी मंदिरों में दर्शन करते हैं, लेकिन देश के कोने कोने से आने वाले श्रद्धालु की पहली प्राथमिकता वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर में अपने आराध्य के दर्शनों की ही रहती है।
धार्मिक पर्यटन का नया ट्रेंड
गोवा और पहाड़ी स्थलों की बजाय धार्मिक स्थलों पर नए साल का स्वागत करने का यह ट्रेंड न केवल आध्यात्मिकता को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि स्थानीय पर्यटन और अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाइयां दे रहा है।