संघ प्रमुख मोहन भागवत रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चम्पतराय को यह पुरस्कार प्रदान करेंगे

इस वर्ष का देवी अहिल्या पुरस्कार रामजन्म भूमि मुक्ति आंदोलन में शौर्य प्रदर्शित करने वाले ज्ञात-अज्ञात कारसेवकों एवं मंदिर निर्माण के सहभागियों के नाम –
:: लता मंगेशकर सभागृह में 13 जनवरी को होगा आयोजन ::
इन्दौर । इस वर्ष का देवी अहिल्या पुरस्कार रामजन्म भूमि मुक्ति आंदोलन के ज्ञात-अज्ञात कारसेवकों एवं मंदिर निर्माण के सहभागियों को समर्पित किए जाने का निर्णय लिया गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के हाथों इन सभी के प्रतिनिधि स्वरूप रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चम्पतराय यह पुरस्कार ग्रहण करेंगे। आयोजन, सोमवार 13 जनवरी 2025 को लता मंगेशकर ऑडिटोरियम में सायं 5.30 बजे होगा।
अहिल्योत्सव समिति की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने बताया कि समिति द्वारा इस पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1996 में की गई थी। पहला पुरस्कार 1996 में नानाजी देशमुख को तत्कालीन प्रधान मंत्री अटलबिहारी वाजपेयी द्वारा प्रदान किया गया था। अभी तक 21 व्यक्तित्व को यह पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है। पुरस्कार प्राप्त करने वालों में राजमाता सिंधिया, पाण्डुरंग शास्त्री आठवले, पद्मश्री डॉ रघुनाथ अनंत माशलेकर, सुधा मूर्ति, साध्वी ऋतम्भरा, डॉ प्रणव पंड्या आदि प्रमुख हैं। पुरस्कार प्रदान करने वालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कल्याणसिंह, डॉ मुरली मनोहर जोशी, स्वामी अवधेशानंद, सुषमा स्वराज, शिवराजसिंह चौहान जैसे व्यक्तित्व सम्मिलित हैं।
अहिल्योत्सव समिति के कार्याध्यक्ष अशोक डागा एवं सचिव शरयू वाघमारे ने बताया कि पुरस्कार के लिए श्रेष्ठ व्यक्ति का चयन पांच सदस्यीय समिति द्वारा किया जाता है जिसमें न्यायमूर्ति व्ही.एस. कोकजे, कृष्ण कुमार अष्ठाना, पुरुषोत्तम दास पसारी, महेश शास्त्री एवं विकास दवे शामिल हैं। समिति ने इस बार का पुरस्कार राम जन्मभूमि आंदोलन में समर्पित होने वाले, प्राणों की बाजी लगाने वाले तथा इस आंदोलन में भाग लेकर पराक्रम व शौर्य प्रदर्शित करने वाले कारसेवकों एवं भव्यतम राम मंदिर निर्माण के सहभागियों को देना निश्चित हुआ है। इन सबके प्रतिनिधि के रूप में रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चम्पतराय इस पुरस्कार को ग्रहण करेंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत अपने करकमलों से यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान करेंगे। पुरस्कार स्वरूप एक लाख रूपए की राशि, शॉल श्रीफल तथा सम्मान पत्र प्रदान किया जाता है।