तिब्बत में आए भूंकप के बाद से डोल रही धरती, विशेषज्ञों को बड़े संकट की आंशका

सिक्किम से 150 किलोमीटर दूर भूकंप ने बढ़ा दी भारत की चिंता
नई दिल्ली । 7 जनवरी को आए भूकंप के बाद से तिब्बत क्षेत्र की धरती थमी नहीं है। 14 जनवरी को भी 3.6 तीव्रता का भूकंप आया और इसके पहले 13 जनवरी को आठ बार धरती डोली थी। 7 जनवरी के भूकंप के बाद से अब तक इस क्षेत्र में 3,614 से अधिक छोटे और बड़े भूकंप के झटके महसूस हुए हैं।
चीन-नेपाल सीमा पर स्थित तिब्बत क्षेत्र इन दिनों लगातार भूकंप के झटकों से कांप रहा है। 7 जनवरी को शिजांग इलाके में आए 7.1 तीव्रता के भूकंप ने क्षेत्र में भारी तबाही मचा दी थी, इसमें 126 लोगों की जानें गई थी और 188 अन्य घायल हो गए थे। हालांकि, यह भूकंप एक बार नहीं, बल्कि उसी दिन के बाद से यहां धरती लगातार डोल रही है। यह घटनाक्रम इलाके में एक भयंकर संकट का संकेत दे रहा है।
7 जनवरी के भूकंप के बाद से अब तक 3,614 से अधिक छोटे और बड़े भूकंप के झटके महसूस हुए हैं। हालांकि, इसमें से अधिकतर की तीव्रता 3 या उससे कम रही है, लेकिन 8 जनवरी को एक दिन में 50 से अधिक झटके महसूस किए गए, जिससे इलाके के लोग काफी परेशान हो गए हैं। इस क्षेत्र में लगातार भूकंपों के आने से लोग खौफ में हैं और राहत की सांस नहीं ले पा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यह क्षेत्र तिब्बत पठार का हिस्सा है, जो भूकंपीय दृष्टि से बेहद सक्रिय माना जाता है। यह वहीं इलाका है, जहां टेक्टोनिक प्लेट्स का मिलन होता है और इसके कारण यहां भूकंपों का आना सामान्य है। वहीं, तिब्बत के शिगाजे इलाके में करीब 27 गांव और 60 हजार लोग निवास करते हैं, जो इन भूकंपों से प्रभावित हो सकते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि जहां लगातार भूकंप आ रहे हैं, वहां तिब्बत के सबसे पवित्र शहरों में से एक शिगाजे भी स्थित है, जो पंचेन लामा की पारंपरिक सीट है। इस क्षेत्र में भूकंपों के झटकों से स्थानीय लोग बेहद चिंतित हैं, और उनका जीवन दुरूह हो गया है। हालांकि, अब तक कोई बड़ा विनाशकारी भूकंप नहीं आया है, लेकिन लगातार हो रहे इन भूकंपों से बड़ी तबाही का खतरा बना हुआ है। भारत के सिक्किम राज्य से महज 150 किलोमीटर दूर स्थित इस क्षेत्र में बढ़ते भूकंपों के झटकों को लेकर चिंता बढ़ गई है।