:: युवाओं में ताकत होती हैं संभावनाओं को वास्तविकता में बदलने की : हेमचंद्र सागर सूरिश्वर
:: 70 कि.मी. की पैदल यात्रा तय कर शहर पहुंचे आचार्यश्री ::
:: जिन शासन की ध्वजा घर-घर फहराई ; भारी समूह में समाजजन शामिल हुए ::
:: महिलाओं ने उतारी आरती, हाथों में कलश लेकर की परिक्रमा ::
:: मंगल प्रवेश में गूंजे जिनशासन के जयकारे, हाईलिंक सिटी में आज साधु-साध्वी भगवंतों का होगा मंगल प्रवेश ::
इन्दौर । श्रावकों के अपने अरमान होते हुए हैं वह चाहते हैं कि कोई सुयोग्य गुरू मिल जाए, जिसे अपने खर्चे से आचार्य पदवी दिलाई जाए। यह इन्दौर समाज का सौभाग्य था कि रतलाम का पुण्य इन्दौर समाज की झोली में आ गया। इन्दौर में ही जन्म लेने वाले शिक्षित, दीक्षित दो मुनियों का तप आचार्य पदवी से विभूषित होने जा रहा है। युवाओं में ताकत होती हैं कि वह संभावनाओं को वास्तविकता में बदल सकते हैं। संवेदना, नैतिकता और परिश्रम से किया गया काम सफलता दिलाता है और इसी प्रण को देखने 70 कि.मी. की विग्रह यात्रा करते हुए आज हम इन्दौर पहुंचे हैं।
उक्त विचार धर्मसभा में आचार्य हेमचंद्र सागर सूरिश्वर महाराज ने व्यक्त किए। आचार्यश्री एवं उनके ससंघ की अगवानी से समाज बंधुओं में हर्षोउल्लास व्याप्त है। जिस घड़ी का श्वेताम्बर जैन समाज बेसब्री से इंतजार कर रहा था वो आचार्य पद प्रदान महोत्सव की घड़ी नजदीक आ चुकी हैं। आज सुबह हेमचंद्र सागर सूरिश्वर महाराज का मंगल प्रवेश नवकार वाटिका ह्नीकारगिरी तीर्थ क्षेत्र पर हुआ। आचार्य भगवंत महाराज विशाल शिष्य समुदाय के साथ जैसे ही इन्दौर में प्रवेश किया तो 250 से अधिक युवाओं ने जिनशासन के जयकारों के साथ उनकी अगवानी की। महिलाओं ने जहां सिर पर कलश लेकर आचार्यश्री की परिक्रमा की तो वहीं समाजजनों ने धर्म ध्वजा फहराते हुए भजनों के साथ खूब जयकारे लगाए।
:: गुरूजी हमारे आएं हैं नई रोशनी लाएं हैं ::
पद्मानंद आचार्य पद प्रदान महोत्सव समिति, श्वेताम्बर तपागच्छ उपाश्रय ट्रस्ट रेसकोर्स रोड़ इन्दौर, नवकार परिवार एवं समग्र जैन श्वेताम्बर श्रीसंघ एवं महोत्सव अध्यक्ष प्रकाश बागानी, यशवंत जैन, प्रवीण गुरूजी, वीपिन सोनी, सोमिल कोठारी एवं प्रीतेश ओसतवाल ने बताया कि आज सुबह 250 से अधिक युवाओं ने अपने पद प्रदर्शक आचार्यश्री का भव्य मंगल प्रवेश किया। 3 समितियों के पदाधिकारियों सहित समाजजनों ने बैंड़-बाजों की स्वरलहरियों के बीच आचार्यश्री की अगवानी की। गुरूजी हमारे आएं हैं नई रोशनी लाएं हैं के जयकारे जहां युवा लगा रहे थे तो वहीं जिनशासन की ध्वजा हाथ में थामें महिला और पुरूष धर्म प्रभावना फैला रहे थे। आचार्यश्री के अगवानी में मार्गों पर रंगोली व वंदनवार भी सजाए गए थे। धर्मसभा के पश्चात कार्यक्रम का संचालन प्रवीण गुरूजी ने किया।
अध्यक्ष प्रकाश बागानी, यशवंत जैन, प्रवीण गुरूजी ने बताया कि आज से 14 दिन लगातार अलग-अलग क्षेत्रों से श्रीसंघों की प्रवेश यात्रा निकाली जाएगी। नवकार वाटिका में भव्य स्वागत के साथ पदार्पण की बेला शुरू हो चुकी है। आयोजनों की तैयारियों में जुटे शरद शाह, जयंत खाबिया, अभिषेक मेहता, मंगलेश चौरड़िया, आनंद मरड़िया, सुनील श्रीमाल ने बताया कि शुक्रवार 31 जनवरी को सुबह 8 बजे गुरू भगवतों का भव्य नगर प्रवेश होगा। पंचदिवसीय गौतम स्वामी, पंच प्रस्थान यात्रा का शुभारंभ यहीं से होगा। इसके बाद 1 फरवरी शनिवार को कालानी नगर से भव्य प्रवेश यात्रा सत्कार, प्रवचन, अनुष्ठान किया जाएगा। 2 फरवरी रविवार के दिन रेसकोर्स रोड़ में मंगल प्रवेश होगा। 3 फरवरी सोमवार को पिपली बाजार व 4 फरवरी को गुमाश्ता नगर में ध्वजा रोहण व प्रवचन आयोजित किए जाएंगे। 5 फरवरी से विशेष प्रवेश यात्रा आयोजित कर सभी श्रीसंघों को आगमोद्धारक नगरी दलालबाग में प्रवेश करवाया जाएगा। इस दिन दोपहर बाद पंच प्रस्थान, पूजन अनुष्ठान व रात को चंपा श्राविका महानाट्य की विशेष प्रस्तुति भी मुंबई के कलाकारों द्वारा दी जाएगी।
:: एक श्याम सिद्धाचंल के नाम ::
पुण्डरिक पालरेचा, शेखर गेलड़ा एवं जयंत खाबिया ने बताया कि गुरूवार 6 फरवरी को 3600 समूह सामायिक का पाठ व गौतम समर्पण पर्व का आयोजन किया जाएगा। दोपहर में 1500 महिलाओं द्वारा समूह चौविसी का महागान होगा। दलालबाग में इस दिन रात्रि में एक शाम सिद्धाचल के नाम की प्रस्तुति भी दी जाएगी। सबसे विशेष दिन 7 फरवरी शुक्रवार को सुबह 8.45 से 12.30 बजे तक भव्यातिभव्य पद प्रदान महोत्सव आचार्य हेमचंद्रसागर सूरिश्वर महाराज के सान्निध्य में मनाया जाएगा। जिसमें आजीवन गुरू चरण सेवक गणि पद्मचंद्रसागर सूरिश्वर मसा व मधुर प्रवचनकार गणि आनंदचंद्र सागर सूरिश्वर मसा को आचार्य पद प्रदान किया जाएगा। इसके बाद 8 एवं 9 फरवरी को सत्तरभेदी पूजन, कार्यकर्ताओं का अभिनंदन समारोह व रत्नत्रयी उपकरण उद्यापन महावीर बाग में आयोजित होगा। महिलाओं के द्वारा हर दिन संध्या अंगरचना, रंगोली एवं दीप श्रृंगार किया जाएगा।