है जिंदगी में प्यार का एहसास कीजिए
जहांँ प्यार नहीं जिंदगी न खार कीजिए
फूलों को चूमती हुई तितली से पूछिए
कलियों पे झूमते हुए भंवरों से पूछिए
अनमोल जिंदगी है जाँनिसार कीजिए
जहांँ प्यार नहीं जिंदगी न खार कीजिए
बादल में कड़कती हुई बिजली से पूछिए
रेती पे तड़पती हुई मछली से पूछिए
बिन साथ जिंदगी का न करार कीजिए
जहांँ प्यार नहीं जिंदगी न खार कीजिए
दीपक की लौ पे मरते पतिंगों को देखिए
पंखों को जला मिट गये मिसाल देखिए
ये इंतहा जो इश्क की अभिसार कीजिए
जहांँ प्यार नहीं जिंदगी न खार कीजिए।
स्वाति बूंद को तड़पते पपिहे से पूछिए
बालक को तड़पती हुई बांझिन से पूछिए
विरहा की रात अलका भिनसार कीजिए
जहांँ प्यार नहीं जिंदगी न खार कीजिए।
है जिंदगी में प्यार का एहसास कीजिए
जहांँ प्यार नहीं जिंदगी न खार कीजिए
डॉ अलका गुप्ता ‘प्रियदर्शिनी’