अश्वत्थामा सदा भ्रम में जिया
जब उसके निर्धन पिता द्रोण ने
आटे का घोल दिया
अश्वत्थामा दूध के भ्रम में पिया
भ्रम में कि पिता के बाद बनूँगा सेनापति
अश्वत्थामा ने दिया साथ कौरवों का
जब द्रोण मारे जा चुके थे
पांडवों को खत्म करने के प्रतीकार में
भ्रम में जीता रहा अश्वत्थामा
दुर्योधन के लहू लुहान होने पर
मुट्ठी भर सैनिकों का सेनापति बना
भ्रमित अश्वत्थामा
आधी रात को पांडव शिविर में
पांडवों के भ्रम में
वध कर आया उप पांडवों का
भ्रमित अश्वत्थामा आज भी ज़िंदा है
लोगों के मन मस्तिष्क में
जो भ्रमित हैं उन्हें बना रहे हैं दिशाहीन
जो उस भ्रम को पाल रहे हैं
अपने स्वार्थ के लिए
अश्वत्थामा मरा नहीं है
कहते हैं वह चिरंजीव है
डॉ टी महादेव राव