:: धाकड़ महासभा के 32वें राष्ट्रीय अधिवेशन में सामाजिक कुरीतियों के साथ ही अनेक मुद्दों पर हुआ विचार मंथन ::
:: महासभा के पदाधिकारियों ने रखे अपने विचार ::
:: कार्यकारिणी की हुई घोषणा, युवाओं व महिलाओं को भी सौंपे दायित्व ::
इन्दौर । बिजली की धारा जब बहती है तो वह दिखाई नहीं देती लेकिन उसका प्रभाव हमें निश्चित रूप से दिखाई देता है और महसूस होता है ; ठीक उसी तरह समाज की स्थिति भी होती है उसका भी प्रभाव दिखना व महसूस होना चाहिए। किसी भी समाज की शक्ति उस समाज के समाजजन होते हैं। अधिवेशन में आप सभी समाजजन की उपस्थिति यह अहसास करा रही है कि भले ही हमारे कार्य क्षेत्र अलग-अलग हो लेकिन समाज कि एकाग्रता व एकता के लिए हम सब एक हैं। यह एकजुटता का गुण ही हमें व समाज को धाकड़ बनाए हुए है।
यह बात रविवार को शुभकारज गार्डन में आयोजित अखिल भारतीय श्री धाकड़ महासभा के 32वें राष्ट्रीय अधिवेशन की अध्यक्षता करते हुए रामस्वरूप पटेल ने महासभा के पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने धाकड़ समाज में युवाओं को भी समाज की धारा से जोड़ने की बात कहीं। साथ ही महिलाओं व युवतियों को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया। वहीं मध्यप्रदेश सरकार में पूर्व शिक्षा मंत्री रहे रामेश्वर पटेल ने अपने उद्बोधन में कहा कि धाकड़ समाज ने अपने नाम के अनुरूप हर क्षेत्र में अपना अमूल्य योगदान दिया है। फिर चाहे वह कृषि हो, राजनीति हो , धर्म हो, समाज हो, चिकित्सा हो व न्यायिक व्यवस्थाओं में भी अपना परचम लहराया और अपने को धाकड़ साबित किया है। सामाजिक समरसता को समाज का आधार बताते हुए कहा कि आने वाले समय में जातिगत जनगणना होगी तब सभी जाति के कालम में जाति धाकड़ लिखवाकर अपने एकजुट होने का परिचय देंगे।
अखिल भारतीय धाकड़ महासभा युवा संघ राष्ट्रीय अध्यक्ष समंदर पटेल ने बताया कि राष्ट्रीय अधिवेशन की शुरूआत मुख्य अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन के साथ की। इसके पश्चात सभी अतिथियों का स्वागत महासभा व राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पदाधिकारियों द्वारा किया गया। स्वागत भाषण समंदर पटेल ने दिया एवं मुख्य अतिथियों ने समाज में फैली कुरीतियों सहित अन्य विषयों पर विचार मंथन किया। इस दौरान कई प्रस्ताव व सुझाव भी रखे गए। जिन्हें समाज बंधुओं की सहमति से लागू किया गया। 32 वें राष्ट्रीय अधिवेशन में महासभा व राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा भी मुख्य अतिथियों के समक्ष की गई। जिसमें नविन कार्यकारिणी के सभी पदाधिकारियों का सम्मान भी किया गया एवं युवाओं व महिलाओं को भी कई दायित्व सौंपे गए। 32 वें राष्ट्रीय अधिवेशन में मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश सहित अन्य राज्यों के समाज बंधु बड़ी संख्या में शामिल हुए। 32 वें राष्ट्रीय अधिवेशन में सामाजिक उत्थान के लिए समाज को एक जुट कैंसे किया जाए, समाज में फैली कुरीतियों को कैसे समाप्त करें, किसान बंधुओं को उन्नत खेती के लिए प्रोत्साहित करना, युवाओं को व्यापार-व्यवसाय कृषि आधारित उद्योगों के लिए मार्गदर्शन देना, किसानों को जैविक व औषधि खेती के लिए प्रोत्साहित करना, समाज का राजनीतिक क्षेत्र में प्रतिनिधित्व कैसे बड़े इन विषयों पर विचार मंथन भी किया गया। अधिवेशन में मुख्य अतिथि के रूप में राजकुमार पटेल (पूर्व मंत्री), रामस्वरूप पटेल (पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष), उमानारायण पटेल, करणसिंह भंडारी (पूर्व न्यायाधीश), ओम प्रकाश बोहरा (जिला जज) सहित धाकड़ समाज के पांच हजार समाज बंधु इस अधिवेशन में शामिल हुए थे। कार्यक्रम का संचालन दिनेश मल्हार ने किया एवं आभार पुरूषोत्तम धाकड़ ने माना।
:: महासभा व राष्ट्रीय पदाधिकारी सम्मानित, 3 वर्षों का रहेगा कार्यकाल ::
अ.भा. धाकड़ महासभा युवा संघ राष्ट्रीय अध्यक्ष समंदर पटेल ने बताया कि शुभकारज गार्डन में आयोजित 32 वें राष्ट्रीय अधिवेशन में महासभा व राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा भी मुख्य अतिथियों की उपस्थिति में की गई। 3 वर्षों के लिए गठिन नवीन कार्यकारिणी में युवाओं को रोजगार व महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प भी इस दौरान दिलाया गया। नवीन कार्यकारिणी में तुलसीराम धाकड़ को अखिल भारतीय श्री धाकड़ महासभा का अध्यक्ष चुना गया तो वहीं महासभा युवा संघ में संजय नंदेड़ा (खाचरौद), श्रीकृष्ण मंडलोई (राष्ट्रीय महिला इकाई अध्यक्ष, राजस्थान), दिनेश मल्हार (महासभा प्रदेश अध्यक्ष) एवं श्रीराम किशन धाकड़ को रायसेन प्रदेश अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया है। महासभा व राष्ट्रीय पदाधिकारियों की नियुक्ति के पश्चात नवनियुक्त पदाधिकारियों का सम्मान भी मुख्य अतिथियों द्वारा फूलमाला पहनाकर किया गया।
:: महासभा के अधिवेशन में यह प्रस्ताव पारित हुए ::
समंदर पटेल ने बताया कि अधिवेशन में महिलाओं व युवतियों को आत्म रक्षा के लिए प्रेरित करने, समाज में फिलूजखर्ची रोकने व आर्थिक अनुशासन लाने, समाज में रचनात्मक कार्यों में धन लगाने, तीर्थ क्षेत्रों में समाज की धर्मशालाएं बनाने, जनगणना में धाकड़ जाति दर्ज करवाने, उन्नत कृषि अपनाने, व्यसन मुक्त समाज निर्माण जैसे प्रस्ताव भी समाज जनों की सहमति से पारित किए गए।