इन्दौर की बेटी ने असंभव को संभव कर देश की पहली बेटी बन मिसाल पेश की , देखने, बोलने, सुनने में अक्षमता के बावजूद पाई सरकारी नौकरी

इन्दौर | प्रि- मेचुअर बर्थ के कारण देखने , सुनने और बोलने में अक्षम इन्दौर की बेटी गुरदीप कौर वासु ने असंभव को संभव कर कल्पना से बढ़कर सफलता हासिल की और सरकारी नौकरी प्राप्त कर देश की पहली बेटी बन गई जो इतनी शारीरिक बाधाओं के बावजूद सरकारी सेवा में नियुक्त हुई । इन्दौर के अन्नपूर्णा क्षेत्र में रहने वाली चौंतीस वर्षीय गुरदीप कौर वासु को बहु-विकलांगता श्रेणी में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में इंदौर के वाणिज्यिक कर विभाग में पदस्थ किया गया है। विभाग की अतिरिक्त आयुक्त सपना सोलंकी के अनुसार गुरदीप नियमित रूप से कार्यालय आती हैं और टैक्टाइल साइन लैंग्वेज के माध्यम से संवाद कर अपने कार्य को पूरी निष्ठा से करती हैं। वे सामने वाले के हाथों और उंगलियों को छूकर अपनी बात समझाती और उनकी बात समझती हैं।
गुरदीप कौर ने अपनी 12वीं तक की स्पर्श लिपि में की है। उन्होंने आर्ट्स विषय में 12 वीं 52% से अधिक अंकों से पास की है। गुरदीप कौर के माता-पिता प्रीतपाल सिंह वासु और मनजीत कौर के अनुसार गुरदीप का जन्म समय से पूर्व हुआ था जिसके चलते उसे दो माह तक अस्पताल में रखना पड़ा। जब वह पांच माह की हो गई, तब भी किसी प्रतिक्रिया का संकेत नहीं दे रही थी। तब उन्हे पता चला कि गुरदीप न केवल देख और सुन नहीं सकती, बल्कि बोल भी नहीं सकती है। गुरदीप की पढ़ाई के लिए इंदौर की आनंद सर्विस सोसाइटी के ज्ञानेंद्र और मोनिका पुरोहित ने 10वीं और 12वीं की पाठ्य सामग्री को स्पर्श लिपि में तैयार किया जिसका गुरदीप ने रोजाना 8 से 10 घंटे अभ्यास कर दोनों परीक्षाएं पास कीं। परीक्षा में गुरदीप ने स्पर्श लिपि के माध्यम से उत्तर बताए और राइटर ने उन्हें लिखा। यही नहीं पुरोहित दंपति ने गुरदीप को परीक्षा में मूक-बधिर राइटर मिल सके यह सुनिश्चित करने के लिए कानूनी लड़ाई भी लड़ी थी। आज वाणिज्यिक कर विभाग में पदस्थ इन्दौर की बेटी गुरदीप कौर वासु देश दुनिया के लिए एक मिसाल बन चुकी है।