ढाका । बांग्लादेश के मुखिया मोहम्मद यूनुस का नोबेल वाला ताज अब खतरे में है। वजह ये है कि उनकी पोल पूरी दुनिया के सामने खुल गई है। शिकायतों पर शिकायतें हो रही हैं। लोग प्रमाण के साथ बात कर रहे हैं यहां तक कुछ लोगों ने नोबेल पुरस्कार वापस लेने की भी मांग की है। नोबेल शांति पुरस्कार देने वाली कमेटी से मोहम्मद यूनुस की शिकायत की गई है। जी हां, निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका और मानवाधिकार कार्यकर्ता तसलीमा नसरीन ने नोबेल समिति से बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस को नोबेल शांति पुरस्कार देने के फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि मोहम्मद यूनुस ने दक्षिण एशियाई देश में अशांति फैलाकर इस प्रतिष्ठित पुरस्कार की प्रतिष्ठा को धूमिल किया है।
नसरीन ने आरोप लगाया कि मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश को आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक रूप से भयानक संकट में धकेल रहे हैं। उनके दिल में नफरत और प्रतिशोध है। उनका व्यवहार असभ्य, बर्बर और क्रूर है। वह विपक्षी लोगों को मारना चाहते हैं। उनका शांति स्थापित करने का कोई इरादा नहीं है। इन नौ महीनों में देश में एक भी दिन शांति नहीं रही और उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया। कृपया उनका नोबेल पुरस्कार वापस लेकर शांति के पक्ष में एक उदाहरण स्थापित करें।
तसलीमा नसरीन ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, ‘यूनुस ने नोबेल पुरस्कार की प्रतिष्ठा को धूमिल किया है। एक ऐसा व्यक्ति जिसे अशांति फैलाने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है। अब से कोई भी शांति पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं पर विश्वास नहीं करेगा। इसके बजाय लोग सोचेंगे कि क्या वह व्यक्ति वास्तव में बुरा है। नोबेल समिति को इस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। इससे पहले 1 मई 2025 को बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने मोहम्मद यूनुस की सरकार को निशाना बनाया था। उन्होंने यूनुस के नोबेल शांति पुरस्कार को वापस लेने की अपील की थी। उन्होंने मुहम्मद यूनुस पर सत्ता का दुरुपयोग, भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर आरोप लगाए हैं। नसरीन ने पहले एक्स पर पोस्ट किया था कि उन्होंने नॉर्वेजियन नोबेल समिति को एक पत्र लिखा है।
इस पत्र में उन्होंने लिखा, मुझे पता है कि एक बार नोबेल शांति पुरस्कार दिया जाता है, तो उसे वापस नहीं लिया जा सकता, लेकिन कृपया विचार करें कि क्या यह असाधारण परिस्थितियों में संभव है? आपने बांग्लादेश के मोहम्मद यूनुस को नोबेल शांति पुरस्कार दिया, लेकिन उन्होंने शांति के लिए एक भी काम नहीं किया।नसरीन ने आरोप लगाया कि मोहम्मद यूनुस ने ग्रामीण बैंक में काम करते हुए टैक्स से बचने की कोशिश की और बैंक के विदेशी फंड का उपयोग अपने व्यवसाय शुरू करने के लिए किया। उन्होंने कहा, ‘जब महिलाएं जिन्होंने माइक्रो लोन लिया था, ब्याज के साथ राशि वापस नहीं कर सकीं, तो ग्रामीण बैंक के कर्मचारियों ने उनके घरों को ध्वस्त कर दिया। ऐसे व्यक्ति को शांति का प्रतीक कैसे माना जा सकता है?’ तसलीमा नसरीन ने मोहम्मद यूनुस को 1971 में पराजित पाकिस्तानी सेना का एजेंट भी कहा। उन्होंने कहा कि यूनुस ने जिहादी आतंकवादियों के साथ मिलकर बांग्लादेश में अवैध रूप से सत्ता पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने कहा, ‘पिछले नौ महीनों में विपक्षी नेताओं और अल्पसंख्यक हिंदुओं को उनके आदेश पर मार दिया गया है। उनके घरों को जलाया और नष्ट कर दिया गया है। कई लोगों को गलत तरीके से जेल में डाल दिया गया है।’उन्होंने आगे कहा, ‘यूनुस पड़ोसी भारत के खिलाफ युद्ध की तैयारी कर रहे हैं। बांग्लादेश के पास भारत के खिलाफ युद्ध करने की कोई क्षमता नहीं है, फिर भी अपने भ्रम में वह देश के लाखों लोगों को मौत की ओर धकेल रहे हैं। जिहादी आतंकवादियों के हमलों के कारण उद्योग बंद हो गए हैं, आर्थिक स्थिति भयानक होने वाली है, लेकिन यूनुस चिंतित नहीं हैं। उनका बांग्लादेश में चुनाव कराने का कोई इरादा नहीं है। उनके साथी (पाकिस्तान) देश को लूटने में व्यस्त हैं।’