नई दिल्ली । कभी सत्ता संभालने के तुरंत बाद ‘इंडिया आउट’का नारा देने वाले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के स्वर पूरी तरह से बदले हुए नजर आए। जिसकी पहली झलक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय राजकीय यात्रा के दौरान इस द्वीपीय देश की राजधानी माले के हवाईअड्डे पर देखने को मिली। जहां राष्ट्रपति मुइज्जू ने स्वयं पहुंचकर पीएम की रेड कार्पेट वेलकम के साथ अगवानी की, मालदीव के सैन्य-बलों ने उन्हें गार्ड ऑफ आर्नर दिया। इस दौरान मालदीव के रक्षा, वित्त और गृह मामलों के मंत्री भी मौजूद थे। दोनों शीर्ष नेताओं के बीच मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय में द्विपक्षीय और प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक हुई। जिसमें आपसी सहयोग से जुड़े तमाम मुद्दों (व्यापार, रक्षा, समुद्री सुरक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर) पर विस्तार से चर्चा की गई।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी। ज्ञात हो कि पीएम मोदी अपने चार दिवसीय दौरे के पहले पड़ाव ब्रिटेन की यात्रा संपन्न कर 25 जुलाई को मालदीव पहुंचे। 26 जुलाई को उनकी इस यात्रा का औपचारिक रूप से समापन हो जाएगा और वह स्वदेश लौट जाएंगे।
बैठक के बाद दिए संयुक्त प्रेस वक्तव्य में प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा करते हुए कहा कि भारत और मालदीव के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत शुरू हो गई है। जिसमें अब हमारा लक्ष्य कागजी कार्रवाई से समृद्धि की ओर केंद्रित है। दोनों देशों के मध्य एफटीए से जुड़ी संदर्भ शर्तों पर भी सहमति बन गई है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी को गति प्रदान करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। जिसमें आपसी निवेश को बढ़ाने के लिए दोनों जल्द से जल्द द्विपक्षीय निवेश संधि को अंतिम रूप देने की दिशा में काम करेंगे। स्थानीय मुद्रा में भुगतान तंत्र से रुपए-रूफिया में सीधे व्यापार कर सकेंगे। जिस रफ्तार से मालदीव में यूपीआई को बढ़ावा मिल रहा है। उससे पर्यटन और रिटेल दोनों क्षेत्रों को बल मिलेगा। दोनों नेताओं ने बैठक में 2024 में जारी अपनाई गई व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी के लिए भारत-मालदीव संयुक्त दृष्टिकोण के कार्यान्वयन में हुई प्रगति का भी जायजा लिया।
कुल 8 समझौतों पर किए हस्ताक्षर
दोनों देशों के बीच कुल करीब 8 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। जिसमें भारत द्वारा मालदीव को दिए जाने वाला 4 हजार 850 करोड़ रुपए का ऋण सहायता (लाइन ऑफ क्रेडिट) समझौता शामिल है। यह पहली एलओसी है, जो भारतीय मुद्रा यानी रुपए में दी जाएगी। धनराशि की मदद से मालदीव में ढांचागत परियोजनाओं के विकास में निवेश किया जाएगा। जिससे आम लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा। इसके अलावा भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित एलओसी पर मालदीव के वार्षिक ऋण पुनर्भुगतान दायित्वों को कम करने के लिए एक संशोधनात्मक समझौता हुआ। जिसमें मालदीव का वार्षिक ऋण पुनर्भुगतान में 40 फीसदी (51 मिलियन डॉलर से 29 मिलियन डॉलर) घटेगा। अन्य समझौतों में फिशरीज एंड एक्वाकल्चर, डिजिटल समाधान साझा करने, भारतीय फार्माकोपिया को मान्यता देने के लिए भी समझौते हुए हैं। एनपीसीआईएल और मालदीव मौद्रिक प्राधिकरण के बीच नेटवर्क-टू-नेटवर्क एग्रीमेंट हुआ है।
आईओआर में शांति का साझा लक्ष्य
पीएम ने कहा कि भारत की पड़ोस पहले नीति और महासागर विजन में मालदीव अहम स्थान रखता है। हम इस द्वीपीय देश के एक सबसे भरोसेमंद मित्र हैं। आपदा हो या महामारी भारत ने हमेशा ही सबसे पहले पहुंच कर मालदीव को सहायता प्रदान की है। मालदीव की रक्षा क्षमताओं के विकास में हम योगदान करते रहते हैं। दोनों देशों का हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में शांति, स्थिरता और समृद्धि का साझा लक्ष्य है। कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव में दोनों एकजुटता से क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा को मजबूत बनाएंगे। जलवायु परिवर्तन जैसी बड़ी चुनौती को लेकर भारत, मालदीव ने नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। इस क्षेत्र में भारत अपना अनुभव मालदीव के साथ बांटने के लिए तैयार है।