राजा धोवेमी ने अपनाया था इस्माल धर्म, मठों में आज भी हैं बौद्ध अवशेष
माले । भारत के दक्षिण में हिंद महासागर में स्थित मालदीव साउथ एशिया का सबसे छोटा देश है। 1200 द्वीपों में फैले इस देश का क्षेत्रफल 298 वर्ग किलोमीटर है, पीएम मोदी दो दिन के दौरे पर मालदीव पहुंचे। मालदीव का इतिहास करीब 2500 साल पुराना है। 5 लाख की आबादी वाले मालदीव में 98 फीसदी लोग मुस्लिम हैं, लेकिन करीब 900 साल पहले यह देश बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र था। 12 सदी में इस देश के राजा ने इस्लाम धर्म अपनाया था, जिसके बाद यह पूरी तरह मुस्लिम देश बन गया।
बात दें कुछ कहानियां बताती हैं कि मालदीव में प्राचीन राजतंत्र की नींव भारत के उड़ीसा के राजा ब्रह्मदित्य के पुत्र, बौद्ध राजा श्री सूरुदासरुण आदित्य ने रखी थी। ऐसा माना जाता है कि उन्हीं के शासनकाल में बौद्ध धर्म मालदीव पहुंचा। इतिहासकारों का मानना है कि बौद्ध धर्म 1000 सालों से ज्यादा समय तक मालदीव में प्रमुख धर्म था। इस दौरान मालदीव की संस्कृति, भाषा और प्राचीन धिवेही लिपि का विकास हुआ। मालदीव में कई द्वीपों पर आज भी बौद्ध मठों और संरचनाओं के अवशेष मौजूद हैं। इन्हें लोकल भाषा में हवित्ता या उस्तुबु कहा जाता है।
मालदीव में इस्लाम का प्रवेश 9वीं और 10वीं शताब्दी में अरब व्यापारियों के जरिए से हुआ था। मालदीव के अंतिम बौद्ध राजा धोवेमी ने साल 1153 में इस्लाम धर्म अपना लिया था। धोवेमी को सुल्तान मुहम्मद इब्ने अब्दुल्लाह का नाम दिया गया। इसके साथ ही मालदीव में इस्लामिक शासन की शुरुआत हुई। इस्लामिक शासन के तहत मालदीव में 6 राजवंशों का शासन रहा, जो 1968 तक रहा। 2008 में मालदीव के नए संविधान ने इस्लाम को आधिकारिक धर्म घोषित किया और नागरिकता के लिए इस्लाम को अनिवार्य बना दिया गया।
बताया जाता है राजा धोवेमी के वक्त मालदीव में एक समुद्री राक्षस रन्नामारी का आतंक था। इस राक्षस को शांत करने के लिए हर महीने एक कुंवारी कन्या की बलि दी जाती थी। राजा हर महीने एक लॉटरी के जरिए एक लड़की को चुनता था। इसके बाद उस लड़की को रन्नामारी के लिए एक मीनार में रखा जाता था और अगले दिन वह मरी हुई मिलती थी। एक बार जब एक परिवार की इकलौती बेटी की बलि के लिए चुना गया, तो परिवार बहुत दुखी हुआ। अबु अल-बरकात उस परिवार के घर ठहरे हुए थे। उन्होंने उस लड़की की जगह खुद मीनार में रात बिताने की बात कही। उस रात उन्होंने मीनार में इस्माल की पवित्र किताब कुरआन की आयतें पढ़ीं। जब रन्नामारी आया, तो कुरआन की आयतें सुनकर वह भाग गया। सुबह अबु अल-बरकात जीवित और सुरक्षित मिले।
राजा धोवेमी ने अबु अल-बरकात से पूछा कि क्या वे रन्नामारी को हमेशा के लिए भगा सकते हैं। राजा ने वादा किया कि अगर राक्षस हमेशा के लिए भाग गया, तो वह और पूरा देश इस्लाम कुबूल कर लेगा। इसके बाद रन्नामारी फिर कभी नहीं लौटा। अपने वादे के मुताबिक राजा धोवेमी ने इस्लाम कुबूल किया और देश में इस्लाम का प्रचार-प्रसार किया।
मालदीव पर अलग-अलग समय पर कई विदेशी शक्तियों का प्रभाव रहा है। 1558 में पुर्तगालियों ने मालदीव पर कब्जा किया और करीब 15 सालों तक राजधानी माले पर कंट्रोल रखा। 1573 में इसे पुर्तगाल से आजादी मिली। इसके अलावा 1887 में मालदीव ने ब्रिटिश शासन के साथ एक समझौता किया, जिसके तहत मालदीव ने अपनी आंतरिक स्वायत्तता बनाए रखी, लेकिन विदेश नीति और रक्षा ब्रिटिश कंट्रोल में थी। 26 जुलाई 1965 को मालदीव को पूर्ण स्वतंत्रता मिली। इसके अलावा प्राचीन समय में यह देश श्रीलंका के सिंहली शासकों और दक्षिण भारत के चोल साम्राज्य के प्रभाव में रहे।