कोविड वैक्सीन से 90 फीसदी मौतों से हुआ बचाव, नई रिपोर्ट से हुआ खुलासा

औसतन हर 5,400 वैक्सीन डोज से एक मौत को टाला गया
नई दिल्ली । कोरोना वायरस साल 2019 के अंत में चीन के वुहान से फैला था और देखते ही देखते दुनियाभर में फैल गया था। करीब 5 साल बाद भी कोविड पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। इसके वेरिएंट कोविड संक्रमण फैलाते रहते हैं। साल 2020 में वैज्ञानिकों ने कोविड की वैक्सीन तैयार कर ली। इसके बाद बाजार में कई कंपनियों की वैक्सीन आ गईं। वैक्सीन बनने के बाद दुनियाभर में वैक्सीनेशन अभियान शुरू हुआ और कुछ ही महीनों में अरबों लोगों को वैक्सीन लगाई गई थी।
कई लोगों को कोविड वैक्सीन की दो डोज लगाई गई थीं, जबकि कुछ लोगों को कोविड वैक्सीन की बूस्टर डोज भी लगाई गई थी। कई बार कोविड वैक्सीन की प्रभावशीलता पर सवाल भी उठे और कहा गया कि इससे हार्ट अटैक के मामले बढ़ गए। हालांकि हेल्थ एक्सपर्ट्स ने इन बातों को सिरे से खारिज कर दिया। अब कोविड वैक्सीन को लेकर एक नई स्टडी सामने आई है, जिसमें वैज्ञानिकों ने बताया कि वैक्सीन बनने के बाद से अब तक इससे कितने लोगों की जान बची।
एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 से 2024 के बीच कोविड-19 वैक्सीन ने दुनियाभर में करीब 25.33 लाख लोगों की जान बचाई है। यह जानकारी एक नई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट से सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक औसतन हर 5,400 वैक्सीन डोज से एक मौत को टाला गया। इस शोध को एक मेडिकल रिसर्च जर्नल में प्रकाशित किया है। रिसर्च में पाया गया कि कोविड वैक्सीन का सबसे बड़ा फायदा 60 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों को मिला। इस उम्र के लोगों में कोविड वैक्सीन से 90 फीसदी मौतों से बचाव हुआ। वैक्सीन से बचाए गए 1.48 करोड़ जीवन-वर्षों में से 76 फीसदी जीवन-वर्ष बुजुर्गों से जुड़े हैं। यह भी पता चला कि जिन लोगों को वायरस से संक्रमित होने से पहले वैक्सीन मिली थी, उनमें से 82 फीसदी की जान बचाई जा सकी। साथ ही ओमिक्रॉन वैरिएंट के समय यानी महामारी की एक अहम अवधि में ही 57 फीसदी मौतों से बचाव हुआ।
कोविड वैक्सीनेशन का फायदा बच्चों और किशोरों में बेहद सीमित पाया गया। 0 से 19 साल की उम्र के लोगों के लिए बचाई गई जानों की संख्या सिर्फ 0.01 फीसदी रही, जबकि जीवन-वर्षों के लिहाज़ से यह आंकड़ा 0.1 फीसदी रहा। इस तरह 20 से 29 साल के युवाओं में सिर्फ 0.07 फीसदी मौतों और 0.3 फीसदी जीवन-वर्षों को ही बचाया जा सका। इसका कारण यह है कि इन उम्र वर्गों में कोविड-19 से मौत का खतरा पहले से ही कम था।
इस शोध को खास इसलिए माना जा रहा है क्योंकि यह पहला ऐसा अध्ययन है जो वैश्विक स्तर पर किया गया है और जिसमें पूरी महामारी 2020 से 2024 को शामिल किया गया है। इसमें ओमिक्रॉन वेरिएंट संक्रमण से पहले और बाद में वैक्सीन का असर और जिन लोगों को टीका लगा और नहीं लगा, उन सबका तुलनात्मक विश्लेषण किया गया, साथ ही यह अध्ययन केवल मौतों की संख्या तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बताता है कि कितने वर्षों की जिंदगी भी बचाई गई।