भारत की नजर दक्षिण कोरिया के स्टील्थ फाइटर केएफ-21 पर, एफ-35 और एसयू-57 का सस्ता विकल्प बन सकता है ‘बोरामे’

नई दिल्ली । भारत ने दक्षिण कोरिया के आधुनिक स्टील्थ फाइटर जेट केएफ-21 ‘बोरामे’ में रुचि दिखाकर अपनी वायुसेना के आधुनिकीकरण की दिशा में एक नया विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है। यह पहल ऐसे समय हो रही है जब चीन और पाकिस्तान जैसे रणनीतिक खतरे तेजी से बढ़ रहे हैं और वायुसेना के पुराने फ्लीट को बदलने की जरूरत महसूस की जा रही है।
केएफ-21 बोरामे दक्षिण कोरिया की कोरिया एयरोस्पेस इंडस्ट्रीस (केएआई) द्वारा विकसित किया गया एक मल्टीरोल स्टील्थ फाइटर जेट है। इसे पहली बार 2021 में प्रदर्शित किया गया था और वर्तमान में फ्लाइट ट्रायल्स चल रहे हैं। इसे 2026 तक दक्षिण कोरियाई वायुसेना में शामिल करने की योजना है।
केएफ-21 की प्रमुख विशेषताएं
केएफ की गति अधिकतम 2,200 किमी/घंटा है। रेडार से बचने की क्षमता है, क्योंकि स्टील्थ डिजाइन है। इसकी उड़ान रेंज लगभग 1000 किमी वाली है। इसकी हथियार क्षमता 10 हार्ड प्वाइंट्स (एयर-टू-एयर, एयर-टू-ग्राउंड, एंटी-शिप मिसाइलें) तक है। तोप- 20 मिमी वल्कन तोप, प्रति मिनट 480 राउंड फायरिंग की क्षमता है और पायलट संयोजन में यह एकल या दोहरे पायलट विकल्प रखता है।
भारत की दिलचस्पी क्यों बढ़ रही है?
भारतीय वायुसेना को अगले कुछ वर्षों में मिग-21, जगुआर और मिराज जैसे पुराने विमानों को हटाना है। एमआरएफए परियोजना के तहत भारत को 100 से अधिक आधुनिक लड़ाकू विमानों की जरूरत है।
केएफ-21 पर भारत की नजर के पीछे प्रमुख कारण
कम लागत: अनुमानित मूल्य 87–110 मिलियन डॉलर प्रति यूनिट, एफ-35 और राफेल से सस्ता है।
‘मेक इन इंडिया’ अवसर: भारत इसे स्थानीय स्तर पर निर्माण करने की इच्छा रखता है।
स्वदेशी तकनीक समावेश: भारतीय रडार और एवियोनिक्स को शामिल किया जा सकता है।
चीन-पाकिस्तान के खिलाफ रणनीतिक जवाब: सीमा सुरक्षा के लिहाज से कारगर विकल्प
क्या हो सकती हैं चुनौतियाँ?
ट्रायल अधूरे
केएफ-21 अभी पूरी तरह ऑपरेशनल नहीं है। 2026 से पहले डिलीवरी संभव नहीं है। भारत को कोरिया से तकनीकी ट्रांसफर की उम्मीद होगी। वहीं चीन और उत्तर कोरिया इस डील को अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मान सकते हैं।
भारत की केएफ-21 में रुचि रक्षा क्षेत्र में नई रणनीतिक दिशा का संकेत है, जहां सस्ते, उन्नत और सहयोगात्मक तकनीक आधारित विकल्पों को प्राथमिकता दी जा रही है। एफ-35 और एसयू-57 जैसे महंगे विकल्पों की तुलना में केएफ-21 एक किफायती और संतुलित विकल्प के रूप में उभर सकता है। हालांकि, इस दिशा में किसी भी अंतिम निर्णय के लिए गहन तकनीकी मूल्यांकन, कूटनीतिक समझौते और परीक्षणों की प्रतीक्षा करनी होगी।