दिल्ली की सड़कों पर करीब 10 लाख कुत्ते हैं, अगर वे काटते हैं तो इसकी जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट या उन संगठनों की होगी जो चाहते हैं कि कुत्ते सड़कों पर ही रहें – विजय गोयल

नई दिल्ली । पूर्व केन्द्रीय मंत्री गोयल ने कहा कि “पिछले तीन वर्षों से चल रहे हमारे आंदोलन का ही परिणाम है कि आज सरकार और सुप्रीम कोर्ट इस गंभीर समस्या पर चिंतित हुए हैं।”
उन्होंने कहा कि कुत्ता प्रेमियों ने भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया है, जिसका मतलब है कि अब वे आदेशों का पालन करेंगे और “किन्तु-परंतु” नहीं करेंगे।
कोर्ट के आदेश की मुख्य बातें जिन पर गोयल की प्रतिक्रिया: कोर्ट ने नसबंदी और वैक्सिनेशन का निर्देश दिया है। गोयल ने कहा कि आशा है अब कुत्ता प्रेमी नगर निगम के कार्यों में बाधा नहीं डालेंगे और न तोड़फोड़ करेंगे।
आक्रामक व रेबीज़ फैलाने वाले कुत्तों को स्थायी रूप से बाड़ों में रखने के आदेश का भी कुत्ता प्रेमियों को सम्मान करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि अब सड़कों पर फीडिंग नहीं होगी। इसके लिए केवल निगम द्वारा तय स्थानों पर ही फीडिंग संभव होगी।
गोयल ने अपील की कि कुत्ता प्रेमी आगे आकर अधिक से अधिक कुत्तों को गोद लें और समाज के सामने उदाहरण प्रस्तुत करें।
गोयल ने बताया कि केवल एक बिंदु—सभी कुत्तों को शेल्टर होम में भेजने का—को सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने स्वीकार नहीं किया। इसका कारण शेल्टर होम की पर्याप्त संख्या का अभाव हो सकता है। उन्होंने आशा जताई कि जैसे-जैसे शेल्टर होम बनते जाएंगे, वैसे-वैसे अदालत भी इस विषय में आगे निर्णय लेगी।
गोयल ने दो टूक कहा कि “चाहे जितनी नसबंदी या वैक्सीनेशन हो जाए, काटने की घटनाएँ बंद नहीं होंगी। दिल्ली की सड़कों पर करीब दस लाख कुत्ते हैं। यदि वे काटते हैं तो जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट या उन संगठनों की होगी जो चाहते हैं कि कुत्ते सड़कों पर ही रहें।”
गोयल ने कहा उनका आंदोलन चलता रहेगा।
उन्होंने कहा कि अंततः सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में भेजना ही पड़ेगा जहाँ उनकी उचित देखभाल हो सके।
गोयल ने संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें मनुष्य के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है, अतः मनुष्य का जीवन अधिक महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली की आरडब्ल्यूए में भी खुशी है कि अब फीडिंग से जुड़ी झड़पें समाप्त होंगी। साथ ही, एबीसी रूल्स (Animal Birth Control Rules) में बदलाव की ज़रूरत पर भी उन्होंने जोर दिया।
गोयल ने RWA से अपील की है कि वे ज्यादा से ज्यादा बीमार और आक्रामक कुत्तों की शिकायत MCD को भेजें.
गोयल ने कहा – “मैं भी पशु प्रेमी हूँ और कुत्तों से प्यार करता हूँ। लेकिन मेरा आंदोलन बिल्कुल सही था, यह आज सुप्रीम कोर्ट ने सिद्ध कर दिया है। मुझे गालियाँ दी गईं, धमकियाँ दी गईं, लेकिन अब आशा है कि यह सब बंद होगा।”
उन्होंने आगे कहा कि अब कुत्ता प्रेमियों को यह सवाल नहीं उठाना चाहिए कि आक्रामक कुत्ता किसे कहा जाएगा या कुत्तों को कहाँ खिलाया जाएगा, क्योंकि यह अधिकार म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन का है।
अंत में गोयल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश सर्वोपरि है और यदि सभी इसका पालन करें तो “धीरे-धीरे भारत भी उन देशों की तरह बनेगा जहाँ एक भी कुत्ता सड़कों पर दिखाई नहीं देता और वे घरों या शेल्टर में ही रहते हैं।”