प्रदेश सरकार के मंत्री विश्वास सारंग के प्रतिनिधित्व वाली नरेला विधानसभा में इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के पुराने नेता महेंद्र सिंह चौहान से है। श्री चौहान इसके पहले वर्ष 2013 के चुनाव में बुधनी से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सामना कर चुके हैं। इस सीट पर दोनों अनुभवी नेताओं के बीच जंग होने जा रही है। श्री सारंग जहां प्रदेश सरकार के विकासकार्यों को आधार बनाकर चुनावी मैदान में हैं, वहीं कांग्रेस पार्टी क्षेत्र में अपराध बढ़ने का आरोप लगाते हुए भाजपा को घेरने के प्रयास में है।
शासकीय कर्मचारियों के रिहायशी क्षेत्र वाली दक्षिण-पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में भी इस बार अनुभव की जंग होने वाली है। यहां से भाजपा ने चार बार के विधायक और प्रदेश सरकार के मंत्री उमाशंकर गुप्ता पर ही दांव खेला है, ताे कांग्रेस ने भी उनके पुराने प्रतिद्वंद्वी पीसी शर्मा को एक बार फिर मैदान में उतार दिया है। दोनों नेताओं को लंबा राजनीतिक और चुनावी अनुभव है। स्मार्ट सिटी को लेकर छिड़ी जंग से लेकर स्थानीय समस्याओं के आधार पर दोनों नेता मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश में जुटे हैं।
भोपाल मध्य सीट से भी इस बार दो पुराने प्रतिद्वंद्वी आमने-सामने हैं। यहां से भाजपा के जिलाध्यक्ष अौर मौजूदा विधायक सुरेंद्र नाथ सिंह के सामने कांग्रेस के आरिफ मसूद हैं। भाजपा जहां एक ओर अपने विवादास्पद बयानों से चर्चित श्री मसूद के बयानों को ही जनता के सामने लाई है, वहीं श्री मसूद क्षेत्र में विकास नहीं होने के आरोपों के सहारे हैं।
भाजपा के लिए अपेक्षाकृत ‘सुरक्षित’ मानी जाने वाली गोविंदपुरा क्षेत्र में दोनों प्रत्याशी अपने-अपने दलों के पुराने नेता हैं, हालांकि चुनावी मैदान में दाेनों पहली बार उतरे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी गिरीश शर्मा अपने स्थानीय होने का हवाला देते हुए जनता के बीच जा रहे हैं। भाजपा ने यहां से लंबे इंतजार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर को प्रत्याशी घोषित किया। श्रीमती गौर जनता के सामने अपने ससुर और इस क्षेत्र से 10 बार के विधायक श्री गौर के विकास कार्यों को रख रही हैं। भाजपा संगठन में कई पदों पर रह चुकीं श्रीमती गौर अपने परिवार के यहां से जुड़ाव को लेकर मतदाताओं के बीच हैं।
भाजपा की ही पुरानी हुजूर सीट पर इस बार स्थानीय विधायक रामेश्वर शर्मा को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि भाजपा ने दोबारा उन पर ही दांव लगाया है। उनका सामना कांग्रेस के नए चेहरे नरेश ज्ञानचंदानी से है। इस सीट पर भाजपा के बागी पूर्व विधायक जितेंद्र डागा ने भी निर्दलीय पर्चा भरा था, लेकिन अंतिम समय में उन्होंने नाम वापस ले लिया।
प्रदेश में विधानसभा चुनाव प्रचार अब अपने अंतिम दौर में है। कल शाम पांच बजे चुनावी प्रचार का शोर थम जाएगा। सभी प्रत्याशियों का भाग्य 28 नवंबर को मतदान के साथ ईवीएम में बंद हो जाएगा। 11 दिसंबर को नतीजे आने के साथ आगामी सरकार की तस्वीर साफ होगी।