इंदौर, ५ दिसंबर (ईएमएस)। ई रजिस्ट्री की खामियों का फायदा उठाकर कलाकारों ने सरकार को करोड़ों का चूना लगा दिया। वे कम जगह बताकर रजिस्ट्रियां कर रहे थे, जिससे सरकार को नुकसान हो रहा था। खुलासा एक शिकायत के बाद हुआ। जांच के बाद स्टॉम्प आईजी ने प्रदेशभर के जिला पंजीयकों की घेराबंदी कर इसके आधार पर सर्विस प्रोवाइडरों को नोटिस जारी किए।
ढाई साल पहले सरकार ने मेन्यूअल रजिस्ट्री बंद करके ई-रजिस्ट्री शुरू की थी। पारदर्शी होने का दावा करने के साथ सरकार का कहना था कि इससे जनता को सुविधा मिली, वहीं विभाग की कमाई बढ़ गई। शिकायत के बाद विभाग का एक घोटाला पकड़ में आया जो सरका को चूना लगाने के लिए पूरे प्रदेश में चल रहा था। ई-रजिस्ट्री करने के समय डाटा में संपत्ति का विवरण अलग से भरा जा रहा था तो रजिस्ट्री दस्तावेज में दर्ज विवरण से अलग होता था। मेटा डाटा फार्म में व्यक्तिगत जानकारी के साथ में संपत्ति की जानकारी भरी जाती है। उसके आधार पर ही स्टॉम्प जनरेट होता है। उदाहरण के लिए हजार वर्गफीट के प्लॉट को मेटा डाटा में ५०० वर्ग फीट लिख दिया गया। उसके आधार पर स्टॉम्प जनरेट हो जाता है। उस हिसाब से गाइड लाईन पर स्टॉम्प व अन्य शुल्क तय हो जाते हैं। जांच के बाद गड़बड़ी सही पाई गई। उस पर स्टॉम्प आईजी कल्पना श्रीवास्तव ने पहले तो सभी जिलों के रजिस्ट्रारों की जमकर क्लास ली। बाद में उन्हें नोटिस भी जारी कर दिए। उसके आधार पर रजिस्ट्रार ने सभी सर्विस प्रोवाइडरों को नोटिस दिए। साथ निर्देश दिए कि किसी ने गड़बड़ी की तो उस पर आपराधिक मुकदमें के साथ में हटाए जाने की कार्यवाही की जाएगी।
(उमेश/अर्चना पारखी)