इंदौर, ७ दिसंबर (ईएमएस)। म.प्र. में अगर भाजपा की शिवराज सरकार हारती है तो इसके लिए शिवराज नहीं, वेंâद्र की नोटबंदी और जीएसटी जिम्मेदार हो सकती है। उक्त मत अनेक भाजपा नेता, बुद्धिजीवी और पत्रकारों ने चर्चा के दौरान व्यक्त किया है। आम लोगों का कहना है कि शिवराज सरकार से लाभान्वित होने वालों में ऐसे पीड़ित लोग भी हैं जिन तक कोई नहीं पहुंचा। जहां तक शिवराज सरकार द्वारा बार-बार कर्ज लेने का मामला है, सरकार कोई ‘बनिया’ तो नहीं है जो फायदे के लिए कार्य करे। विकास कार्य होंगे और पीड़ित जनता तक मदद पहुंचेगी तो कर्ज लेने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने एक्टिट पोल और सटोरियों के भाव-ताव देखकर कहा कि म.प्र. में १४० सीटों से ज्यादा जीतकर कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। सटोरिये तो मतदान के बाद से ही म.प्र., राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस द्वारा सरकार बनाने की बात कर रहे हैं। म.प्र. में मतदान का प्रतिशत बढ़ने से दोनों पार्टियां अभी भी अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही है लेकिन कांग्रेस पूर्ण विश्वास के साथ सरकार बनाने की बात कर रही है। मुख्यमंत्री कौन होगा, इसको लेकर विवाद की स्थिति दिखती है। कुछ लोग ज्योतिरादित्य सिंधिया को और कुछ लोग कमलनाथ को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते है। इसका पैâसला तो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ११ दिसंबर के बाद करेंगे। जानकार सूत्रों का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने के साथ ही सत्ता और संगठन के बीच समन्वय हेतु बनने वाली समिति का अध्यक्ष बनाया जाएगा। उनके सम्मान को कायम रखा जाएगा।
भाजपा के कुछ नेता दबी जबान में कह रहे हैं कि किसानों का कर्ज माफनहीं करने से भी किसान नाराज हो गए और मतदान का प्रतिशत बढ़ा। मुख्यमंत्री शिवराज तो किसानों का कर्जा माफ करने के पक्ष में दिखाई दे रहे थे, लेकिन हाइकमान ने इसके लिए उन्हें हरी झंडी नहीं दिखाई। बाद में भाजपा हाईकमान भी पछतावा कर रहा है। उसने भी महसूस किया कि कर्ज माफी नहीं करने से प्रदेश का किसान पार्टी से नाराज हो गया।
(उमेश/अर्चना पारखी)