-केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय जल्द लाएगा संशोधित नीति
नई दिल्ली (ईएमएस)। केंद्र सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों के अवसरवादी रवैये पर लगाम लगाने के लिए फिर से योजना तैयार की है। सरकार का उद्देश्य इन ई-कंपनियों द्वारा ग्राहकों को भारी छूट और बेलगाम तरीके से कैशबैक और उपहार देने पर रोक लगाना है। अगले कुछ सप्ताहों में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, सूचना प्रौद्योगिकी से परामर्श लेकर एक संशोधित नीति लाने की योजना बना रही है, जिसे बाद में कैबिनेट के पास भेजा जाएगा। सूत्रों ने बताया केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय घरेलू रिटेलरों के हितों की सुरक्षा करते हुए ई-कॉमर्स कंपनियों को सुदृढ़ करने के तरीकों पर गौर कर रहा है। अधिकतर घरेलू रिटेलर, ई-टेलर के साथ-साथ नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से पैदा हुई ‘प्रतिकूल परिस्थितयों’ से कारोबार को नुकसान की शिकायतें कर रहे हैं। सीएआईटी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध संस्था स्वदेशी जागरण मंच जैसे समूहों ने लोकल किराना और छोटे दुकानदारों की तरफ से आवाज उठाने का बीड़ा उठाया है।
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि सरकार का कदम स्थानीय व्यापारियों की सहानुभूति बटोरना नहीं, बल्कि दुनियाभर में ई-कॉमर्स को नियंत्रित करने को लेकर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) द्वारा जोर दिए जाने से पहले ही एक पॉलिसी लाना है। इस मुद्दे पर अमेरिका और चीन जैसे देश साथ आए हैं, जो पिछले कई महीनों से आपस में ट्रेड वॉर से जूझ रहे हैं। वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया सरकार द्वारा लाए गए ई-कॉमर्स पॉलिसी के एक मसौदे को हितधारक पहले ही खारिज कर चुके हैं। इस मसौदे को हितधारकों से जुलाई में साझा किया गया था।
मसौदे में एक सनसेट क्लॉज का प्रस्ताव किया गया था, जिससे डिफरेंशियल प्राइसिंग स्ट्रैटिजी जैसे डीप डिस्काउंट के लिए अधिकतम अवधि को परिभाषित किया गया था। इसमें कुछ सेगमेंट में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के साथ घरेलू ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए प्रेफरेंशियल ट्रीटमेंट का भी प्रस्ताव किया गया था। हालांकि, एफडीआई को तो खारिज कर दिया गया, लेकिन ई-कॉमर्स को रेग्युलेट करने के मुद्दे पर फिर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके विवरणों का अध्ययन करना अभी बाकी है।
अनिरुद्ध, ईएमएस, 17 दिसंबर 2018