(श्रीनगर) अलगाववादी नेताओं के आर्मी कैंप तक मार्च के आह्वान के बाद कश्मीर में बढ़ा तनाव

श्रीनगर (ईएमएस)। जम्मू-कश्मीर में सेना ने अतंकियों को सबक सिखाने के जो कार्रवाई की उसके चलते पुलवामा में मुठभेड़ के दौरान 7 नागरिकों की मौत के मामले ने कश्मीर घाटी में तनाव को काफी बढ़ा दिया है। अलगाववादी नेताओं ने सोमवार को आम नागरिकों की मौत के विरोध में मार्च का आह्वान किया है। अलगाववादियों ने जॉइंट रेजिस्टेंस लीडरशिप (जेआरएल) के बैनर तले लोगों से सोमवार को बदामी बाग स्थित सेना के चिनार कोर के मुख्यालय तक मार्च करने का आह्वान किया है। जेआरएल में सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और मोहम्मद यासीन मलिक शामिल हैं। ज्ञात हो कि पुलवामा जिले में मुठभेड़ स्थल की ओर बढ़ रही भीड़ पर सुरक्षा बलों की गोलीबारी में सात आम नागरिकों की मौत हो गई थी और कई अन्य जख्मी हो गए थे।
इस मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन के 3 आतंकी मारे गए थे जबकि एक जवान शहीद हुआ था। अलगाववादियों के इस मार्च को लेकर सुरक्षा व्यवस्था की भारी तैयारी की गई है। प्रशासन ने श्रीनगर के 10 पुलिस थाना क्षेत्रों में प्रतिबंधात्मक आदेश लागू कर दिए हैं। इसके अलावा पुलवामा में भी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया गया है। सेना के प्रवक्ता ने आम लोगों से अपील की है कि वे अलगाववादियों के गुमराह करने वाले और देशविरोधी आह्वान पर ध्यान न दें। साथ ही, सेना ने यह चेतावनी भी दी है कि आम नागरिकों को सुरक्षाबलों के खिलाफ करने की आतंकवादी-अलगाववादी-पाकिस्तान के नेक्सस की हर साजिशों को ध्वस्त किया जाएगा।
गौरतलब है कि बदामी बाग स्थित कैंप में जीओसी और अन्य वरिष्ठ मिलिटरी अधिकारियों के आवास हैं। अलगाववादियों के इस आह्वान को देखते हुए पांठा चौक, सोनावार और डलगेट रोड को कनेक्ट करने वाले जम्मू-कश्मीर एनएच 44 को बंद कर दिया गया है। प्रशासन ने कश्मीर में ट्रेन सर्विस और कई हिस्सों में इंटरनेट को सस्पेंड कर दिया है। सेना ने लोगों से अलगाववादियों के आह्वान पर सेना के चिनार कोर के मुख्यालय की ओर मार्च नहीं करने का आग्रह किया। सेना के प्रवक्ता के मुताबिक सेना ने लोगों से कहा कि वे जेआरएल की ओर से ‘गुमराह करने वाले आह्वान’ पर ध्यान नहीं दें। बयान में कहा गया है, सेना हमेशा से कश्मीर के लोगों के साथ है और सुरक्षा बलों के खिलाफ आवाम को खड़ा करने के आतंकवादी-अलगाववादी-पाकिस्तान गठजोड़ की ऐसी साजिशों को नाकाम कर देगी। लोगों को एक बार फिर से सलाह दी जाती है कि वे जेआरएल द्वारा इस गुमराह आह्वान पर ध्यान नहीं दें।
प्रवक्ता ने कहा कि सेना, सुरक्षा एजेंसियों और असैन्य प्रशासन के साथ ‘आतंकवाद और पाकिस्तान और कश्मीर में इसके कारिंदों द्वारा प्रायोजित छद्म युद्ध से लड़ रही है।’ बयान में कहा गया है, सुरक्षा बलों का मकसद आवाम के समर्थन से घाटी में अमन और सामान्य हालात लाना है। बलों ने नियंत्रण रेखा से बड़ी संख्या में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे आतंकवादियों को खत्म किया है और समग्र स्थिति में सुधार के लिए अंदरूनी इलाकों में इस साल इससे भी बड़ी संख्या में आतंकवादियों को खत्म किया है और खुद का बड़ा बलिदान दिया है। सेना ने कहा है, ये आतंकवादी, आम नागरिक, एसपीओ, पुलिस कर्मियों और छुट्टी पर गए अन्य सुरक्षा कर्मियों समेत बेगुनाह कश्मीरियों की बर्बर हत्याओं में शामिल थे। प्रवक्ता ने कहा कि सुरक्षा बलों ने क्रॉस फायर में आम लोगों की जान बचाने के लिए तथा जान-ओ-माल के नुकसान को कम करने के लिए हर मुमकिन कोशिश की है। उन्होंने कहा कि किसी भी आम व्यक्ति की जान हानि सुरक्षा बलों के लिए हमेशा दुखद होती है। मुठभेड़ स्थलों पर भोले-भाले युवकों को भड़काने और इस्तेमाल करने के लिए निहित स्वार्थ जारी है। बयान में कहा गया है, जेआरएल द्वारा बदामी बाग छावनी की ओर मार्च का आह्वान एक और ऐसी ही कोशिश है। पाकिस्तानी कारिंदों द्वारा ऐसे आह्वान का भारतीय सेना कड़ी निंदा करती है और लोगों को सलाह देती है कि राष्ट्र विरोधी ताकतों के ऐसे मंसूबों में न फंसें।
विपिन/ईएमएस/ 17 दिसंबर 2018