(नई दिल्ली) डीएमके नेता एमके स्टालिन के प्रस्ताव पर विपक्षी दलों की असहमति, स्टालिन ने दी सफाई

टीएमसी ने कहा यह बयान विपक्षी दलों में दरार पैदा कर सकता हैं
नई दिल्ली (ईएमएस)। डीएमके नेता एमके स्टालिन ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया था, लेकिन यह सुझाव कई विपक्षी दलों को पसंद नहीं आया। जिसके बाद स्टालिन ने अपने प्रस्ताव पर सफाई देते हुए कहा कि राहुल गांधी धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एकजुट कर सकते हैं। स्टालिन ने कहा, प्रधानमंत्री के रूप में राहुल गांधी को पेश करना, धर्म निरपेक्ष ताकतों के लिए सही है। इसके साथ ही उन्होंने इस पर जोर दिया कि भाजपा शासित तीन राज्यों में कांग्रेस की जीत राहुल गांधी की वजह से हुई है।
राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सीएम के शपथ ग्रहण समारोह में स्टालिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ ही रहे। स्टालिन ने कहा, हमें लोकतांत्रिक ताकतों में सामंजस्य के लिए मजबूत नेतृत्व की जरूरत है। इसकारण मैंने राहुल गांधी का नाम प्रस्तावित किया था। डीएमके प्रमुख स्टालिन के प्रस्ताव पर अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी, चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, ममता बनर्जी की टीएमसी, फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस, लालू यादव की जदयू, सीपीएम और एनसीपी ने असहमति जाहिर की थी। इन दलों ने कहा था कि चुनाव के बाद विपक्षी दलों को एक साथ बैठकर इस पर फैसला करना चाहिए। टीएमसी ने कहा था कि स्टालिन का बयान अपरिपक्व है, इससे विपक्षी दलों में दरार आ सकती है।
बता दें, स्टालिन ने राहुल गांधी को अगला प्रधानमंत्री बनाने का संकल्प जताते हुए कहा था कि गांधी में नरेंद्र मोदी सरकार को परास्त करने की क्षमता है। उन्होंने कहा था, 2018 में थलैवार कलईग्नार की प्रतिमा के अनावरण के अवसर मैं प्रस्ताव रखता हूं कि हम दिल्ली में नया प्रधानमंत्री बनाएंगे। मैं तमिलनाडु की ओर से राहुल गांधी की उम्मीदवारी की पेशकश करता हूं। स्टालिन ने कहा था कि उनका यह प्रस्ताव द्रमुक की उसी परंपरा का हिस्सा है जब उनके पिता दिवंगत एम करूणानिधि ने नेतृत्व की कमान संभालने के लिए इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी का समर्थन किया था।
आशीष/18 दिसंबर 2018