नई दिल्ली। हाड़ कपां देने वाली ठंड के कारण पूरा उत्तर भारत हलाकान है। पहाड़ों में हुई बर्फबारी का असर अब मैदानी इलाकों में भी दिख रहा है। रविवार को कोहरे ने हरियाणा के फरीदाबाद को चपेट में ले लिया। शाम छह बजते-बजते तापमान में गिरावट हुई और कोहरा बढ़ने लगा। राष्ट्रीय राजमार्ग पर शाम सात बजे तक कोहरे की चादर हर तरफ दिखाई दी और दृश्यता भी काफी कम रही। समूचा उत्तर भारत शीतलहर और कोहरे की चपेट में है। राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश और झारखंड में जबर्दस्त ठंड पड़ रही है। रांची में न्यूनतम तापमान दो डिग्री सेल्सियस, राजस्थान में 1.4 रहा। पहाड़ी राज्यों में भी न्यूनतम और अधिकतम तापमान में गिरावट का दौर जारी है।
जम्मू में एक सप्ताह से लगातार गिर रहे न्यूनतम तापमान के साथ ही अब अधिकतम तापमान भी सामान्य से नीचे आ गया। कारगिल में न्यूनतम तापमान माइनस 14.5 डिग्री सेल्सियस रहा। उत्तराखंड में मौसम ने रविवार को कुछ राहत दी। बावजूद इसके उत्तराखंड के 11 शहरों में न्यूनतम तापमान पांच डिग्री सेल्सियस से कम बना हुआ है। मध्य प्रदेश के भी 16 जिले शीतलहर की चपेट में हैं। इनमें रीवा, ग्वालियर, जबलपुर, रतलाम, उज्जैन और छिंदवाड़ा शामिल हैं। कड़ाके की सर्दी और कोहरे का असर रेल और हवाई यातायात पर भी पड़ा है। कोहरे की वजह से ट्रेनें अपने निर्धारित समय से काफी देरी से पहुंच रही हैं।
रविवार को उत्तराखंड में मौसम ने कुछ राहत दी है। यह शनिवार से अपेक्षा बेहतर रहा। बावजूद इसके प्रदेश के 11 शहरों में न्यूनतम तापमान पांच डिग्री सेल्सियस से कम बना हुआ है। आने वाले दिनों में तापमान में कुछ वृद्धि होगी। रविवार को देहरादून में न्यूनतम तापमान 5.5 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। रांची और अन्य जिलों में जबर्दस्त ठंड पड़ रही है। पारा लगातार गिर रहा है। रांची के मैक्लुस्कीगंज का पारा गिरकर दो डिग्री के करीब पहुंच गया है। कांके का भी यही हाल है।
पंजाब में मौसम ने एकदम से करवट बदल ली है। पिछले कई दिनों से निकल रही खिलखिलाती धूप रविवार को घने कोहरे में तब्दील हो गई। शनिवार रात से ही शुरू हुआ धुंध का प्रकोप रविवार दोपहर तक कायम रहा। कई जिलों में दृश्यता 50 मीटर से भी कम दर्ज की गई। राज्य में कड़ाके की सर्दी से तीन की मौत हो गई। अमृतसर में धुंध का असर फ्लाइट्स पर दिखा। अमृतसर पहुंचने वाली तीन फ्लाइट्स को दिल्ली डायवर्ट कर दिया गया। छह फ्लाइट्स घंटों देरी से एयरपोर्ट पर पहुंची। क्रिसमस बर्फबारी की आस लेकर हिमाचल आने वाले सैलानियों को निराश होना पड़ेगा। 27 दिसंबर तक बारिश-बर्फबारी की कोई संभावना नहीं है। हालांकि रविवार को दिन भर आसमान में हल्के बादल छाए रहे। केलंग, मनाली व कल्पा में न्यूनतम तापमान माइनस में पहुंच चुका है। रविवार को केलंग में न्यूनतम तापमान माइनस 6.1 डिग्री दर्ज किया गया।
उत्तर भारत के ऊपर स्थित पहाड़ों पर बर्फबारी से सर्दियों का शिकंजा पूरे मैदानी क्षेत्र पर कस गया है। पारा गिरने के साथ बहने वाली शीतलहर किसी के लिए भी घातक हो सकती है। हाड़ कंपा देने वाली इन सर्द हवाओं से बचाव बेहद जरूरी है। यह एक मौसमी दशा है जिसमें बहने वाली हवा अत्यधिक सर्द हो जाती है। अत्यधिक ठंड या खराब मौसम के चलते भी यह स्थिति पैदा हो सकती है।
हाइपोथर्मिया- एक ऐसी स्थिति जब शरीर की सामान्य क्रियाओं और उपापचय के लिए जरूरी तापमान (36-37 डिग्री सेल्सियस) गिर कर बहुत कम रह जाता है। तो शरीर के परिसंचरण, श्वसन और तंत्रिका तंत्र काम करना बंद कर सकते हैं। इसकी गंभीर स्थिति में अनियमित धड़कन से हृदय काम करना बंद कर सकता है जिससे मौत भी हो सकती है।
शीतलहर के सितम से लोग घरों में दुबकने पर विवश हैं ऐसे में उनके लिए बड़ा संकट है जिनके पास घर नहीं हैं। हालांकि, उन्हें रैन बसेरे और अस्थायी आवास, टेंट इत्यादि की व्यवस्था के दावे किए जाते हैं, लेकिन वे सब इस सर्दी के आगे नाकाफी हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार देश में करीब 18 लाख लोगों के पास घर नहीं हैं। ऐसे लोग फ्लाईओवर के नीचे, सड़क के किनारे और रेलवे प्लेटफार्म जैसी जगहों पर रात बिताने को विवश हैं।
घना कोहरा, कम सूर्य की रोशनी और उच्च आर्द्रता गन्ने, सरसों और आलू की फसलों को नुकसान पहुंचाने में कीटों के लिए आदर्श स्थिति पैदा करती है। सूर्य की कम रोशनी बुआई किए गए गेहूं के लिए नुकसानदायक होती है। टमाटर, बैंगन और मिर्च की फसलों को पाले से खतरा होता है।
अचानक चलने वाली शीतलहर से लोग गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं। जमाव वाली सर्दी से शरीर के ऊतक नष्ट हो सकते हैं। हाइपोथर्मिया जैसी गंभीर स्थिति से भी जूझना पड़ सकता है। हर साल देश भर में ठंड के चलते सैकड़ों लोग मारे जाते हैं।
खराब मौसम और घने कोहरे से न केवल आवागमन प्रभावित होता है, बल्कि ये स्थिति दुर्घटनाओं का कारण भी बनती है। सर्दी के कोहरे वाले मौसम में सड़क दुर्घटनाएं सबसे ज्यादा होती है।
पालतू जानवरों और जंगली जीव-जंतुओं पर इसका सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। शीतलहर के साथ होने वाली बर्फबारी के चलते इन जानवरों के चारे की समस्या खड़ी हो जाती है। शीतलहर से पौधों और फसलों को भी नुकसान पहुंचता है। इस मौसम में अपनी फसलों को बचाना किसानों के लिए बड़ी चुनौती होती है।
कई बार शहरी इलाकों में पेयजल संकट खड़ा हो जाता है। पाइपलाइनों में पानी जमने से पाइपों के फटने की आशंका खड़ी हो जाती है।
विपिन/ईएमएस/ 24 दिसंबर 2018