विश्व फालुन दाफा दिवस का महत्व

13 मई का दिन पूरे विश्व में फालुन दाफा अभ्यासियों के लिए एक विशेष महत्व रखता है. फालुन दाफा, जिसे फालुन गोंग भी कहा जाता है, मन और शरीर का एक प्राचीन आध्यात्मिक अभ्यास है. एक पुरातन काल से  यह अभ्यास एक गुरु से एक शिष्य को हस्तांतरित होता आ रहा था, जिसे श्री ली होंगज़ी ने पहली बार 1992 में चीन में सार्वजनिक किया. आज  दुनिया भर में 120 से अधिक देशों में 10 करोड़ से अधिक लोगों द्वारा इसका अभ्यास किया जा रहा है. फालुन दाफा की मुख्य शिक्षायें 40 से अधिक भाषाओं में उपलब्ध हैं.

शिक्षाओं के अतिरिक्त, फालुन दाफा में पांच व्यायाम भी सिखाये जाते हैं जो गति में धीमे, सौम्य और ध्यान पर आधारित हैं. व्यायाम सीखने में सरल किन्तु प्रभावशाली हैं और पूरी तरह निशुल्क सिखाये जाते हैं. आज के तेज प्रवाह जीवन में फालुन दाफा का अभ्यास न केवल शारीरिक स्वास्थ्य का लक्ष्य प्राप्त करने में प्रभावी रहा है, बल्कि, इसने करोड़ों लोगों के आध्यात्मिक विकास और नैतिक चरित्र के उत्थान में भी सकारात्मक भूमिका प्रदान की है.

फालुन दाफा में व्यायाम हालांकि महत्वपूर्ण माने जाते हैं, किन्तु बल नैतिक गुण की साधना पर दिया जाता है, जिसमें “सत्य-करुणा-सहनशीलता” के तीन सिद्धांतों का रोजमर्रा की जिंदगी में पालन करना सिखाया जाता है. यही कारण है कि फालुन दाफा से आने वाले सकारात्मक बदलाव स्थायी होते हैं और इसके अभ्यासी इसका गुणगान करते नहीं थकते.

13 मई, जो विश्व में फालुन दाफा के परिचय की 26 वीं वर्षगांठ है,  हम पाते हैं कि 120 से अधिक देशों के लोगों ने इस प्राचीन ध्यान अभ्यास को हर्ष से अपनाया और गले लगाया है. जो लोग इस अविश्वसनीय अभ्यास में साधना करते करते हैं,  वे इसकी प्रशंसा का गुणगान करते हैं, और क्यों नहीं? फालुन दाफा निश्चित ही किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत लाभकारी है.

अधिकांश देशों में विश्व फालुन दाफा दिवस समारोह में वहां के राजनेता विश्वास की आजादी (Freedom of Faith) का समर्थन करने और समाज में अभ्यासियों के योगदान की प्रशंसा के लिए शामिल होते हैं. फालुन दाफा के अद्भुत उद्भव का सारांश हंगरी के पूर्व अमेरिकी राजदूत मार्क पामर और फ्रीडम हाउस के बोर्ड सदस्य के शब्दों में संक्षेप में किया गया है: “फालुन गोंग आज एशिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक आंदोलन है. साहस और महत्व में इसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती.”

ज्यादा जानकारी के लिये देखें: www.falundafa.org, www.faluninfo.net

फालुन दाफा भारत में

फालुन दाफा को भारत में सन से 2000 से सिखाना आरम्भ किया गया था और 2004 में इसे पंजीकृत किया गया. तब से, देश भर के अनेकों  स्कूल और कॉलेजों में इस ध्यान अभ्यास को सिखाया गया है. दिल्ली और हैदराबाद में पुलिस अकादमी में फालुन दाफा अभ्यास की वर्कशॉप आयोजित की गयीं. कई बड़े संगठनों ने इसे अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सिखाने के लिए फालुन दाफा अभ्यासियों को आमंत्रित किया. दिलचस्प बात यह है कि कई जेल अधीक्षकों ने कारागृहों में कैदियों के स्वास्थ्य और नैतिक गुण उत्थान के लिए इस अभ्यास को सिखाने के लिए अनुरोध किया है.

चीन में दमन
चीन में 1992 में सार्वजनिक होने के बाद से, फालुन गोंग ने लोगों द्वारा अनुभव किए गए स्वास्थ्य लाभ और नैतिक मानकों में सुधार के कारण चीनी लोगों के बीच बेहद लोकप्रियता प्राप्त कर ली. कुछ वर्षों में, करीब 7 करोड़ चीनी लोग इसका अभ्यास तन्मयता से करने लगे. सरकार और सशस्त्र बलों के कई उच्च पदाधिकारी भी उन लोगों में से थे जिन्होंने इस अभ्यास को अपनाया. चीन में फालुन गोंग की बढ़ती लोकप्रियता के साथ, इस अभ्यास के प्रति चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का संदेह भी बढ़ता गया. 20 जुलाई, 1999 को, जियांग जेमिन जो उस समय चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव के रूप में पदस्थ थे, ने चीन में फालुन गोंग पर प्रतिबंध लगा दिया और इसके अनुयायियों पर क्रूर दमन की शुरुआत कर दी. पिछले अठारह वर्षों में,  चीन में फालुन गोंग अभ्यासियों को क्रूर और अमानवीय दमन का सामना करना पड़ रहा है जो आज तक जारी है.