नई दिल्ली । अमेरिका और ईरान के संबंध पिछले एक साल में बेहद खराब हो गए हैं और इसकी प्रतिछाया अब दुनिया पर साफ दिखने लगी है। तेहरान ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव का असर पूरी दुनिया पर होता दिख रहा है। सोमवार को सऊदी अरब के 2 तेल टैंकरों को यूएई के समुद्री तट के पास निशाना बनाया गया। हालांकि, अब तक न तो सऊदी अरब और न ही यूएई ने इसके लिए किसी को जिम्मेदार ठहराया है। हॉर्मूज जलडमरूमध्य के बाहरी हिस्से में स्थित फुजैरा पोर्ट पर यह घटना हुई। फुजैरा पोर्ट तेल निर्यात के लिहाज से महत्वपूर्ण है और ज्यादातर खाड़ी देशों का तेल निर्यात इसी पोर्ट के रास्ते से होकर गुजरता है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि सऊदी अरब, इराक, यूएई, कुवैत, कतर और ईरान से भी ज्यादातर तेल का निर्यात हॉर्मूज जलडमरूमध्य से होता है और यह आंकड़ा कम से कम 15 मिलियन बैरल्स प्रतिदिन है। विश्व का लगभग 30 प्रतिशत समुद्र में पैदा होनेवाला तेल इसी रास्ते से होकर गुजरता है। तेल विश्लेषक फर्म वोरटेक्सा के अनुसार, 17।2 मिलियन बीपीडी क्रूड और कंडेन्स्टस तेल 2017 में इसी रास्ते से निर्यात हुआ था। हॉर्मूज जलडमरूमध्य ओपेक देशों के लिए बहुत हद तक एक मात्र रास्ता है जिसके जरिए वह तेल निर्यात कर सकते हैं। इस जलमार्ग के रास्ते से लिक्विफाइज नैचरल गैस (एलएनजी) भी होकर गुजरता है और दुनिया का सबसे बड़ा एलएनजी निर्यातक कतर भी इसी मार्ग का प्रयोग करता है। कतर लंबे समय से भारत का सबसे बड़ा एलएनजी निर्यातक है। सोमवार को हुए इस घटनाक्रम का असर भारत में भी दिखा और तेल की कीमतों में 1.78 फीसदी तक की वृद्धि भी देखी गई।
हालांकि, अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि सऊदी के तेल टैंकरों पर किसने हमला किया, लेकिन इसके बावजूद यह घटना बेहद तनावपूर्ण परिस्थितियों में हुई है। अमेरिका और ईरान के संबंध पिछले एक साल में बेहद खराब हो गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ओबामा प्रशासन में ईरान के साथ हुए न्यूक्लियर डील को खत्म कर दिया और ईरान पर कठोर प्रतिबंध फिर से लागू हो गए। भारत और चीन जैसे देशों को दी गई रियायत भी खत्म हो गई और इन सबका असर ईरान के अर्थव्यवस्था पर बुरी तरह से पड़ा।
अमेरिका ने अपने युद्धपोत यूएसएस आरलिंगटन और यूएसएस अब्राहम लिंकन को पश्चिमी एशिया क्षेत्र में तैनात किया है। अमेरिका के रक्षा सलाहकार ने पहले ही कहा था कि अमेरिका के खिलाफ ईरान युद्ध की तैयारी कर रहा है। ईरान के आक्रमण करने की आशंका का हवाला देते हुए अमेरिका ने पश्चिम एशिया में पैट्रियट मिसाइलें भी तैनात की हैं। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने अमेरिकी सैनिकों की सुरक्षा का जायजा लेने के लिए इराक का दौरा भी किया। हालांकि, संयुक्त रूप से इन सभी घटनाक्रम का असर दोनों देशों के बीच तनाव के चरम पर पहुंच जाने के रूप में हुआ।