सलाहकार। मेरे एक टीचर मित्र हे बहुत हैरान समस्या भी थी विचित्र, उनका एक पहलवान शिष्य…
Category: काव्य ग़ज़ल
दु:ख-1
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””” ईश्वर ने पृथ्वी बनाने से पहले दु:ख बनाया था ! और उसके बाद बनाया स्त्री…
हर बार मेरा “आंचल” तुम बनों..
हूं बूंद या बदली, या चाहे पतंग आसमान तुम बनों !! हूं गजल या कविता, या…
लाली जैसा प्यार पिता का होता…
पौ फटने की लाली जैसा प्यार पिता का होता। फूलों वाली डाली जैसा प्यार पिता का…
प्रकृति की रम्य खूबसूरती
सचमुच बहुत अच्छा लगता है कभी कभी अकेला होना खुद से बातें करना मुस्काना और खोजना…
बेटियों के पहरेदार
इस सत्ता के दरबारों में, हर गलियाँ और चौवारों में वो बेटी-बेटी चिखने वाले कहाँ गुम…