अगले साल से भारत में बढ़ जाएंगी गर्म हवाएं

नई दिल्ली । गर्म हवाओं की फ्रीक्वेंसी और उसकी समयसीमा अगले साल की शुरुआत से बढ़ने वाली हैं। यह कहना है इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रोपिकल मिटियोरोलॉजी (आईआईटीएम) के एक शोध का। शोध में कहा कि ‘अल निनो मोडोकी’ एक मौसम प्रणाली जो अल नीनो से भिन्न है, वह भारत में गर्म हवाओं के बढ़ने का कारण हो सकती है। मिट्टी में मौजूद नमी के घटने और गर्मी का धरती से वातावरण में स्थानांतरित होना इसे और बढ़ा सकता है। यह घटनाएं २०२० और २०६४ के बीच घट सकती हैं। यह बड़े पैमाने पर दक्षिण भारत और तटीय क्षेत्रों को प्रभावित करेंगी जो अभी तक इससे बचे हुए है।
फ्यूचर प्रोजेक्शंस ऑफ हीट वेव्स ओवर इंडिया फ्रॉम सीएमआईपी-५ मॉडल्स नाम का यह शोध अतंरराष्ट्रीय जर्नल क्लाइमेट डायनेमिक्स में प्रकाशित हुआ है। इसमें मौसम के ९ मॉडल्स का परीक्षण किया ताकि भारत में गर्म हवाओं की तीव्रता, फ्रीक्वेंसी और अवधि और इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को समझा जा सके। शोध में जिन मॉडल्स का प्रयोग किया, उन्होंने १९६१ और २००५ के बीच भारत में ५४ गर्म हवाओ की पहचान की। पत्र में कहा कि अध्ययनों से पता चलता है कि भारत के ऊपर गर्म हवाओं की फ्रीक्वेंसी, अवधि और आकाशीय सीमा अल नीनो के सफल वर्षाें में ज्यादा पाए जब प्रशांत महासागर गर्म रहा। अल नीनो मोडोकी घटनाक्रम मे जब केंद्रीय प्रशांत महासागर गर्म होता है, वह भारत में गर्म हवाओं के लंबे समय तक रहने का कारण बनता है। २०२० से २०६४ के बीच १३८ गर्म हवाओं की घटनाएं घटित हो सकती हैं।
आईआईटीएम के वैज्ञानिक पी मुखोपाध्याय का कहना है कि अतीत में शोध दिखाते हैं कि इसे अल नीनो और प्रशांत महासागर की सतही विसंगतियों से जोड़ा जाता रहा है। अध्ययनों से यह भी पता चला है कि १९६१ और उसके बीच गर्म हवा उत्तरपश्चिम भारत और दक्षिण-पूर्व भारत में प्रति सीजन लगभग ५-७ दिनों की औसत अवधि के दौरान हुआ।
संदीप सिंह/देवेंद्र/नई दिल्ली १८/मई/२०१९/