देशभर में पिछले साल 1.5 लाख लोगों ने सड़क हादसों में गंवाई जान, यूपी शीर्ष पर

नई दिल्ली । भारत में सड़क हादसों में मरने वाले लोगों की संख्या टीबी से मरने वाले लोगों से ५ गुना अधिक हो गई है। देशभर में पिछली साल सड़क हादसों में करीब 1.5 लाख लोग सड़के हादसों का शिकार हुए है। २०१८ में भारत की सड़कों पर १.४९ लोगों ने अपनी जान एक्सीडेंट के चलते गंवाई है। सड़क हादसों के मामले में यूपी सबसे आगे है। सड़क हादसों में ध्यान में रखते हुए मोटर व्हीकल एक्ट का जो नया मसौदा सामने आया है उसके तहत बच्चों के लिए भी हेलमेट और कार चालक के साथ अन्य के लिए भी सीट बेल्ट बांधना अनिवार्य है। इससे गंभीर चोट की आशंका ही नहीं, बल्कि देश में सड़क हादसों में होने वाली मौत के आंकड़े को भी कम किया जा सकेगा।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार देश के अलग-अलग हिस्सों में रोजाना औसतन ६५२ से ज्यादा लोग सड़क हादसों में जान गंवाते हैं। यह आंकड़े टीबी जैसी गंभीर बीमारी से जान गंवाने वाले लोगों से साढ़े पांच गुना से भी ज्यादा हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में इस गंभीर बीमारी से ४२००० से ज्यादा लोग मारे गए थे। देश के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार देश में हर रोज करीब १४०० सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें ४०० लोग मारे जाते हैं। राज्यों में उत्तर प्रदेश की स्थिति सबसे खतरनाक है।
पुलिस के रिकॉर्ड के मुताबिक यहां पिछले साल १७६६६ लोगों ने मोटर वाहन दुर्घटनाओं में जान गंवाई। हादसों में मरने वालों में सबसे ज्यादा दोपहिया वाहन सवार थे। तो दूसरे नंबर पर ऑटो रिक्शा सवार लोग हैं। यूपी के बाद दूसरे नंबर पर तमिलनाडु है। यहां १५६४२ लोगों ने इस तरह जान गंवाई। इसके बाद महाराष्ट्र (१३२१२), कर्नाटक (१०८५६) और राजस्थान (१०५१०) में सबसे ज्यादा लोग हादसे का शिकार हुए। सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले लोगों के मामले में रूस दुनियाभर में पहले नंबर पर है। यहां सालाना हर १ लाख लोगों में से १९ की जान सड़क हादसों की वजह से जा रही है। वहीं भारत दूसरे, अमेरिका तीसरे, फ्रांस चौथे और डेनमार्क ५वे नंबर पर है।