बिलासपुर । गुरू घासीदास विश्वविद्यालय की जीव विज्ञान अध्ययनशाला जंतु विज्ञान विभाग में विभिन्न शोध कार्य संपादित किये जा रहे है। शोधों से यह पता चला है कि कोल-माइन क्षेत्रों के आस-पास का वातावरण और आबादी विभिन्न क्षातुओं के प्रदूषण से ग्रसित है। शोधार्थी अंजनी वर्मा ने अपना शोध कार्य डॉ. मोनिका भदौरिया, सह-प्राध्यापक, प्राणि शास्त्र विभाग ने निर्देशन में किया है। शोध छात्रा कुमारी अंजनी वर्मा ने अपना शोध बेरेलियम क्षारीय मृदा धातु व उनके हानिकारक प्रभाव को सफेद चूहों के यकृत व वृक्क अंगों पर देखा है, जो कि किसी भी हानिकारक रासायनिक तत्वों के चयापचय हेतु महत्वपूर्ण अंग होते है। बेरेलियम द्वारा उत्पन्न हानिकारक प्रभावों को समाप्त करने के लिए पौधो में पाये जाने वाले विशेष तत्व/उत्पाद: नारिनजेनिन (पलैगेनॉयड) व कैफीक एसीड (हाइड्रो सिन्नैमिक: अम्ल) से सप्ताहिक व त्रैसप्ताहिक उपचार के लिए प्रयुक्त किया गया। शोधार्थी कु. अंजनी वर्मा द्वारा १ महिने व ३ महिनों तक पृथक-पृथक समूहों में बेरेलियम दिया गया व उसके पश्चात् नारिनजेनिन एवं कैफीक एसीड से सप्ताहिक व त्रिसप्ताहिक उपचार किया गया। जिसमे बेरेलियम से उत्पन्न विषैले हानिकारक प्रभावों को लगभग ८०-९० प्रतिशत तक कम हो पाया गया। इस शोध की उपलब्धियों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तरों पर आयोजित सम्मेलनों में सराहना प्राप्त हुई तथा इसके अलावा चित्रात्मक प्रस्तुतीकरण व मौखिक प्रस्तुति हेतु पुरस्कृत भी किया गया।
मनोज