समय का चक्र

  बात उन दिनों की है,जब श्वेता की नई नई शादी हुई थी। उस जमाने में पर्दा प्रथा था, पुराने ख्यालात थे।श्वेता उस जमाने की पढ़ी-लिखी लड़की थी। ससुराल उसे रास नहीं आ रहा था। सास के नियम, पुराने ख्यालात में उसका दम घुट रहा था। राजेश अच्छा पढ़ा लिखा संस्कारी लड़का था, एवं परिवार में एकता थी, प्रेम था यह देख कर उसके पिता ने उसकी वहां शादी करवा दी। श्वेता सास के विपरित रहती थी,..क्योंकि बहुओं की तरह रहना उसे पसंद नहीं आ रहा था। परिवार के साथ रहना उसे कतई पसंद नहीं था। 

हालांकि परिवार में अपनापन, प्यार था, पर सब कम पढ़े लिखे थे और सास तो अनपढ़ ही थी। 

एक दिन उसने राजेश से कहा, अगर उसने उसे यहां से नहीं निकाला, तो वह जहर खा लेगी!”

पर राजेश परिवार से अलग नहीं होना चाहता था।बड़े भैया भाभी बहुत प्यार करते थे उसे। एक दिन राजेश जब काम पर गया था। 

श्वेता कमरे से निकली ही नहीं! 

सब परेशान थे! 

दिन भर परेशान रहे! 

दोपहर को राजेश जब घर आया। 

 दरवाजा खुलवाया,..नहीं खुला! तो तोड़ना पड़ा! पता चला ढेर सारी नींद की गोलियां खाकर श्वेता सोई हुई थी! 

आखिर श्वेता की ज़िद सामने राजेश को हार मानना पड़ा। वह दूसरे शहर में नौकरी ढूंढने लगा। आखिर उसे नौकरी मिल गई। वह श्वेता को लेकर जाने लगा, तो उसकी मां बहुत रोई, …

राजेश को बहुत रोका! पर श्वेता की जिद के सामने राजेश मजबूर था! मां को समझा-बुझाकर वह घर छोड़कर श्वेता को लेकर चला गया। 

आज अठारह वर्ष बीत गये। राजेश, “श्वेता सारा सामान पैक हो गया है,..तुम अपनी सारी दवाइयां भी अच्छी तरह से रख लो! चलो आज फिर वहीं चलते हैं! जहां तुम्हारा दम घुट रहा था! आखिर आज वही भैया भाभी और उनका परिवार बाहें फैलाए हमारी प्रतीक्षा कर रहा है!” आंखों में आंसू भरे हुए राजेश ने श्वेता से कहा! श्वेता की आंखों में भी आंसू आ गए! पर कहने के लिए उसके पास शब्द नहीं थे! 

श्वेता और राजेश को दो संतानें हुई थी।एक बेटी और एक बेटा। 

बेटी ने अपनी मर्जी से विवाह कर लिया और लड़के के साथ विदेश चली गई ….और बेटे की अकस्मात हादसे में मृत्यु हो गई। श्वेता यह सदमा बर्दाश्त ना कर सकी बीमार रहने लगी।

राजेश का भी मन वहां नहीं लग रहा था। वह सब बेच बाच कर वापस अपने पुराने शहर जा रहा था, अपने भैया भाभी के पास, मां तो अब रही नहीं थी। अपनी मां के आंसू आज भी राजेश के सीने को कचोटते थे, जब वह घर छोड़कर श्वेता के साथ दूसरे शहर जा रहा था। आज वही श्वेता अपनी संतान के लिए बिलख रही थी । यह समय का चक्र था। स्वेता आज समय के चक्र को समझ गई थी । आज वहीं वापस जा रही थी, जिनके साथ रहने में उसे शर्म आ रही थी। गुमान था। 

पर मां के आंसू तो आज भी राजेश की आंखों में घूम रहे थे।इन्हीं बातों को सोचते हुए श्वेता और राजेश गाड़ी में बैठ गए। 

अनामिका मिश्रा 

झारखंड,सरायकेला (जमशेदपुर)

फोन नंबर 8809038382