चांदनी चाँद की

मुस्कुराती रही चांदनी चाँद की ,

गुनगुनाती रही चांदनी चाँद की।

 रात की छाँह में ओस से भीगती  ,

बस नहाती रही चांदनी चाँद की।

खेत में खेलती  झील में झूमती ,

झिलमिलाती रही चांदनी चाँद की।

ताज के जिस्म पर छमछमाती  हुई ,

खिलखिलाती रही चांदनी चाँद की।

समुन्दर सामने  वायलिन को लिए ,

बस लुभाती रही चांदनी चाँद की

महेंद्र कुमार वर्मा

भोपाल [म.प्र.]