बहुत फ़र्क है दोनों में
नहीं हो सकती तुलना
कलम और तलवार में
एक हिंसक
दूसरी हिंसा- विरोधी
एक रक्तपथगामी
दूसरा द्वार है
शोषण मुक्ति का
एक की साधना से
स्रवित होते हैं
आंसू ख़ुशी के
तो दूसरी में
आती है गंध
दमित वासनाओं की
एक में सन्निहित है
भाव श्रद्धा के
तो दूसरी तोड़ती है
श्रद्धा के प्राचीर
एक चलती है
किसी विधवा के
आंसू पोंछने के लिए
तो दूसरी वैधव्य की माला
पहनाने के लिए
किसी सधवा के गले में
नहीं तुलना हो सकती है
कभी भी कलम और तलवार में
डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र
प्रयागराज फूलपुर
7458994874