शरद चंद्र

शरद चंद्र की धवल किरण ‘

जब धरा पर आती है ।

शुभता का एहसास कराती”

मन हर्षित कर जाती है।

शरद चंद्र की……………

अमृत की वह वर्षा करती

अविरल धार बहाती है 

देव ,दानव, मानव, मुनि 

सबका मन हर्षाती है

शरद चंद्र की…..,……….

चंद्र औ यमज का नाता

शरद पूर्णि है बतलाता 

इस दिन दोनों साथ में आते,

 आधि व्याधि संताप मिटाते ।

शरद चंद्र……….

कान्हा ने महारास रचाया है,

शुचि प्रेम का बोध कराया ।

हरी प्रिया का धरा आगमन,

करता हर जन मन अभिनंदन ।

शरद चंद्र…………….

पूजा-पाठ सब भक्त है करते, 

चलती रहती रोजी-रोटी ।

रोग दोष छुमंतर करती ,

जीवन पुष्प खिलाती है।

शरद चंद की धवल किरण,

जब धरा पर आती है ।

शुभता का एहसास कराती,

 मन हर्षित कर जाती है।

मधुलिका राय”  ”«मल्लिका”

गाज़ीपुर

 उत्तर प्रदेश