सड़कों की खूबसूरती में लगे चार चाँद !

बारिश के दिनों में, पानी भरे गड्ढों से हमारी सड़कों पर उभरी प्राकृतिक छटा सचमुच देखते ही बनती है । कोई इन गड्ढों को भरने की चाहे लाख कोशिश करे लेकिन रहती दुनिया तक ये सड़कें और उनपर गड्ढे रहेंगे । यह चोली दामन का साथ है जो आसानी से कभी छूटने वाला नहीं है । यदि आज आप किसी एक सड़क के गड्ढे भर भी देंगे तो क्या ! कल वे किसी दूसरी सड़क पर उभर आएंगे । 

दरअसल ये गड्ढे ही हमारी सड़कों की खूबसूरती में चार चाँद लगाते हैं, उन्हें बुरी नजरों से बचाते हैं तथा उन्हें एक नया और मॉडर्न लुक देते हैं, जींस पर लगे पैबंद यदि आधुनिकता का पर्याय हैं तो सड़कों पर बने गड्ढे और उन पर लगे पैबंद हमारे नवाचार की बानगी हैं । 

पिछले दिनों इसी खूबसूरती पर मुग्ध होकर किसी नेता ने अपने उद्गार प्रकट करते हुए कहा था कि हमारे यहाँ की सड़कों की खूबसूरती वाशिंगटन की सड़कों से कहीं ज्यादा है । सचमुच यह खूबसूरती बारिश के दिनों में अपने पूरे उभार पर होती है । सड़कों पर उभरी विभिन्न आकृतियाँ किसी नई शैली में की गई मनमोहक चित्रकारी का आभास देती हैं, ऐसी खूबसूरती भला और कहाँ पाई जाती होगी !

हमने जिन गड्ढों से गुजरकर अपनी विकास यात्रा तय की है, कोई नहीं चाहेगा कि उस विकास यात्रा के साक्षी गड्ढों को कभी स्थायी रूप से बंद कर दिया जाए । इसीलिए प्रतिवर्ष बारिश के बाद सड़कों के इन गड्ढों को इतनी कुशलता के साथ भरा जाता है कि उनकी मौलिकता सदैव अक्षुण्ण बनी रहती है । रहा सवाल गड्ढों का तो गड्ढे कहाँ नहीं हैं, क्या खूबसूरत चाँद भी कभी गड्ढों विहीन होता है !

जिन्होंने हमारी सड़कों पर चलने का हुनर अभी तक नहीं सीखा है, उनमें से कुछ विरले यदा-कदा धोखे से उन गड्ढों में जा गिरते हैं । ऐसी दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए उचित होता यदि वाहन चालकों को लाइसेन्स जारी करने से पहले उन्हें बारिश के दिनों में ऐसी सड़कों पर ट्रायल देना और उसमें सफल होना अनिवार्य कर दिया जाता ।

जब कभी किसी शहर में किसी ख़ास नेता का दौरा होता है, तब उनके यात्रा मार्ग की सड़कों के गड्ढों को रातों-रात भरकर उनका चेहरा समतल और चमकदार बना दिया जाता है तथा उनके आसपास बहुत करीने से शुभ्र लकीरें खींच दी जाती हैं । उन लकीरों के बीच पसरी, ऐसी सजी धजी सड़कों की ब्लैक ब्यूटी तब देखते ही बनती है तथा ऐसा प्रतीत होता है मानों सड़कें अभी-अभी ब्यूटीपार्लर से सजकर सीधे ही चली आई हों । संभवतः ऐसी ही किसी सुंदरता पर मोहित होकर ही एक संवेदनशील नेता ने प्रदेश की सड़कों की तुलना स्वप्न सुंदरी के गालों से कर डाली थी । 

हमारे यहाँ यदि कभी बारिश के दिनों में इन गड्ढों भरी सड़कों पर वाहन दौड़ाने की अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा आयोजित की जाए तो फिर समझो कि उसमें हमारा अव्वल आना तय है । ये गड्ढे ही तो  हैं, जो देश भर में अनियंत्रित यातायात की गति को नियंत्रित किए रहते हैं । सड़कों पर बने इन गड्ढों का अत्यंत पुरातात्विक महत्व भी है, जो आने वाली पीढ़ी को सदैव इस बात का स्मरण कराते रहते हैं कि कभी यहाँ भी सड़कें हुआ करतीं थी । 

ये गड्ढे सदा सच बोलते हैं और पहली बारिश में ही ढोल की पोल खोल देते हैं । जब तक ये गड्ढे हैं तब तक राजनीति में मुद्दे हैं । ये गड्ढे हैं तो आपदा में भी नए अवसर हैं । ये गड्ढे हैं तो समाचारों में सुर्खियां हैं । ये गड्ढे हैं, जो साहित्य सृजन के नित नए विषय हैं । असल में ये विकास के गड्ढे हैं, जितने गहरे ये गड्ढे हैं उससे कहीं ज्यादा गहरा इनका अवदान है । यही कारण है कि हमें हमारी सड़कों और उन पर बने गड्ढों की खूबसूरती पर बहुत गर्व है । 

डॉ. तीरथ सिंह खरबन्दा 

वरिष्ठ व्यंग्यकार