सफर के लिए हम निकलते रहेंगे

दुआ माँ की लेकर यूँ चलते रहेंगे

अन्जुमन में है चाहने वाले मेरे

यहाँ सबसे मोहब्बत करते रहेंगे

बदल कर कभी हर्फ़ तुमको पढेंगे

नए ज़ाविये से हम लिखते रहेंगे

जलेगी मुहब्बत शमा की हमेशा

चेराग ए मुहब्बत यूँ जलते रहेंगे

रफ़ू कर ले तू भी ग़मो को यूं ‘आकिब’

मुहब्बत से घर अपने पलते रहेंगे

✍️आकिब जावेद

बाँदा,उत्तर प्रदेश