आलोकमय हो गया नगर
ज्यों नभ से उतरा नीलगगन!
बिखरे तारे अवनि पर आ
करते रघुवर का अभिनंदन!!
बंदनवारे बंधे द्वार-द्वार
दीपों की लड़ियां दमक रहीं !
दिव्य धाम बन गया नगर
नयनों में खुशियां छलक रहीं !!
सरयू तरंग,मन में उमंग
चांदी सी चमकी लहर-लहर
पग धोवन हित रघुनन्दन के
करती प्रतीक्ष हरेक पहर!!
माताएं मुदितमना होकर
ले द्वार खड़ीं मंगल थारी!
नववधुएं नर्तन करतीं हैं
पुलकित-हुलसित हैं नर-नारी !!
ज्यों रमा खड़ी कुंकुम पग ले
साकेत धाम के गृह द्वारे !
धरती -अंबर में गूंज रहे
सियाराम लखन के जयकारे!!!
रश्मि मिश्रा “रश्मि”
भोपाल (मध्यप्रदेश )