रोशन हो गयी दीवाली

रीना की शादी जिस घर मे हुई वहां उसे किसी चीज़ की भी कमी नही थी ससुराल में सब लोग भी बहुत अच्छे थे लेकिन एक बात हमेशां उसके दिल को कचोटती रहती थी कि उसके ससुराल में दीवाली पूजन नही होता था।हर बार दीवाली पर लोगों के घर रोशनी से जगमगा रहे होते तो उनके घर में कोई रोशनी नही की जाती थी।

लोग दीवाली के दिनों में खूब खरीदारी करते ,नए कपड़े लेते अपने घरों को खूब सजाते लेकिन रीना के ससुराल में ऐसा कुछ भी नही होता था।उसकी सासू माँ ने तो ये भी बोल रखा था कि उसदिन घर मे कोई भी नए कपड़े नही पहनेगा।

रीना ने बहुत बार अपने सास ससुर से पूछा कि वो लोग दीवाली क्यों नही मानते तो उनके पास इस बात का कोई जबाब नही था क्योंकि वो खुद नही जानते थे क्योंकि उनके बड़ों ने जो कहा और किया वो भी चुपचाप वैसा ही करते रहे।

रीना के पति सुधीर भी हालांकि दीवाली मनाना चाहते थे लेकिन वो भी अपने बड़ों की बातों का विरोध नही कर पाए। फिर रीना के जब बेटा बेटी बड़े होने लगे तो दूसरे बच्चों को देख कर वो भी दीवाली वाले दिन पटाखे फोड़ने की ज़िद करने लगे तो सुधीर ने अपने  बच्चों को पटाखे ले दिए क्योंकि उन दोनों की यही सोच थी कि ऐसे रीतिरिवाजों का क्या मतलब जो घर के लोगों की खुशियों के रास्ते मे आये। इस तरह पटाखे तो अब हर साल चलने लगे और सुधीर के आगे कोई भी कुछ नही बोल पाया।

फिर कुछ साल बाद जब बच्चे और बड़े हुए तो उन्होंने बोला कि सब लोग पूजा करते हैं तो हम क्यों नही कर सकते।जब उन्होंने किसी को बताया तो उन्होंने बोला कि लक्ष्मी पूजन मे तो कोई बुराई नही है ।बाकी दिन भी तो आप सब पाठ पूजा करते हो तो इस दिन करने में क्या हर्ज है।तब उन्होंने अपने आफिस को सजाया और अच्छे से पूजन किया।

लेकिन अभी भी रीना और सुधीर के मन में ये मलाल रहता था कि उनके घर के बाहर अभी भी रोशनी  नही होती।रीना ने बहुत बार अपने ससुर जी और सासू माँ को बोला कि आप घर के बड़े हैं आप चाहें तो हमे दीवाली की छूट दे दीजिए । हम ने चाहे दीवाली नही मनाई लेकिन हमारे बच्चों को इतने बड़े त्योहार की खुशी से  वंचित न कीजिये ।लेकिन वो नही माने और बोले कि जैसे हमारे बड़ों ने किया हम भी वैसा ही करेंगे।

लेकिन  रीना और सुधीर जी ने अपने मन मे पक्का सोच लिया कि वो अपने बच्चों से दीवाली अवश्य शुरू करवाएंगे। उन दोनों ने मिल कर ये फैसला किया कि जब उनके बेटे की शादी होगी और घर में बहु आएगी  तो उसकी पहली दीवाली वो बहु के हाथ से शुरू करेंगे और उनकी आने वाली पीढ़ी इस खुशी से वंचित नही रहेगी।

तो आज वो दिन आ पहुंचा था जब बेटे की शादी के बाद उनकी पहली दीवाली थी।दोनो ने बच्चों को पहले ही दीवाली की तैयारी करने को बोल दिया था।बेटे बहु दोनो ने मिल कर जब पूजा का पहला दिया जलाया तो तो रीना की आंखों में खुशी के आंसू आ गए थे।उस ने ईश्वर से हाथ जोड़ कर यही प्रार्थना की कि सदियों से चली आ रही इस प्रथा को तोड़ने की ओर उसने और सुधीर ने जो पहला कदम उठाया है प्रभु उन दोनों की इस काम मे पूरी सहायता करेंगे।

 उसने जब आंखें खोली तो उसको लगा घर के मंदिर में लक्ष्मी जी मुस्कुरा कर उनको आशीर्वाद दे रही थी और जो असंख्य रोशनी के दीप जगमगा उठे थे उन्होंने उसके घर को तो रोशन किया ही था लगता था जैसे उनकी सालों से अंधेरे और उदासी में डूबी दीवाली भी रोशन हो गयी थी।

रीटा मक्कड़