मन बनियां हुआ

पैसा ज्योहीं आया

हिसाब के खातिर डायरी लाया

लाभ-हानि का गणित लगाया

गाड़ी खरीदा,कोठी खरीदा

प्यास फिर भी नहीं बुझ पाया

मां-बाप तक को भी बांट डाला

आखिर,सहे कौन अब घाटा।

सबसे प्यारी हुई लुगाई

प्यारा हुआ ससुराल वाला,

गैर हुआ दादी,भौजाई

अपना बस मतलब वाला।

हल जोतकर,बोझा ढोकर

पाला-पोसा,मुझे पढाया

 मैं तो बन गया धोती वाला

पर,वो अभी भी कच्छेवाला!

दर्द है तेरा,तुम समझो

कोई नहीं दर्द बांटने वाला

खातिर तेरे मौज मैं छोडूं!

 ये सब है गड़बड़झाला।

करोगे जैसा,भरोगे वैसा

बच कर कोई नहीं जाने वाला

सूद सहित तुम भी पाओगे

 क्योंकि तुम हीं हो मूलधन वाला।

🙏🏾🙏🏾

राजीव।

  लोको पायलट, गाजियाबाद