यादें

दिवाली तो वो भी थी

जब ऑनलाइन शुभेच्छाएं दी थी हमने

और एक ये भी हैं जब रूबरू हैं सभी

बनाई थी बहुत मिठाइयां भेजने के लिए 

अबकी खायेंगे सब मिलकर

पूजा भी की थी बिल्कुल तन्हा 

अबकी मिल के केरेंगे पाठ लक्ष्मी जी का

खूब बिरहा सह ली  हैं हमने

अब तो दिन मिलन के आ गएं हैं

खूब मिलेंगे सभी से पर दोस्तों भूलना नहीं हैं करोना के रिवाज

बेमुर्रव्वत हैं ये मुड़ मुड़ के आता हैं

हाथ धो लो

मास्क पहन लो और रखो थोड़ी दूरियां

अच्छी हैं ऐसी दूरी,

वरना याद करो वो मजबूरियां

तरस गए थे बाहर आने को

चूहे जैसे दिन कटते थे

बाहर आओ खाना बटोरों

घर वाले बिल में घुस जाओ

अब अगर जीना हैं बन के मानव

बस करोना काल के अनुशासन का पालन करों

जयश्री बिरमी

अहमदाबाद