सितम बिखरा पड़ा था

सुख की झील पर तैरता बचपन खड़ा था

अंधेरे से उजाला निकलने को सामने अड़ा था 

दिल की चाहत वाला हसीं मंजर बड़ा था

हुस्न वाले ने जब फूल जूडे में जड़ा था

दिल इजहारे मोहब्बत के मैदान में खड़ा था 

मैं आज भी उन की यादों में उल्झा पड़ा हूँ

जब झिलमिलाती लड़ियों में ख्वाब को जड़ा था 

ज़माने में देखो “अर्विना’ सितम बिखरा पड़ा था

अर्विना

D9 सृजन विहार 

एन टी पी सी मेजा

 प्रयागराज