मै कौन हूँ

ना साथ हूँ ना पास हूँ ,

ना शहर ए ख़ास हूँ।

ना राज़ हूँ ,ना बात हूँ

ना उल्फ़त की वो रात हूँ।

ना प्यार हूं, ना ख्याल हूँ,

ना मदहोशी का साल हूँ।

ना एहसास हूं,जज्बात हूं

ना उन्स की मात हूँ।

ना ज़ख्म हूँ, ना बज़्म हूं,

ना दर्द की कोई नज़्म हूँ।

ना हाल हूं,ना मलाल  हूँ,

ना रंग कोई लाल हूँ।

ना कर्ज हूं ना मूल हूँ,

ना चुभती शूल हूँ।

ना  आज हूँ  ना कल हूँ,

ना मैं कोई छल हूँ।

ना शर्म हूँ, ना हया हूँ,

फिर बताओ मैं कौन हूँ।

माही मुन्तजिर 

दिल्ली