खत्म हुए अब इनकार के दिन
आ गए *तेरे मेरे इकरार के दिन*
खामोशी तड़फ के कह उठी अब
आ गए हैं उनसे इज़हार के दिन
पुकारा जब तुमने प्यार के नाम से
दिल ने कहा भूल अब तकरार के दिन
आईने में देख चेहरे की सुर्ख रंगत
लगा आ गए यौवन पर निखार के दिन
तेरे अधरों से सजती हैं जो माथे पर
आ गए उसी मेरे सोलहें- सिंगार के दिन
संग हो तुम्हारा तो पतझड़ में भी
लगता है, हो जैसे बहार के दिन
नज़रों ने कहा मुझसे देर ना कर
आ गए हैं अब उनके दीदार के दिन
*गीतांजलि गीत*
साहित्यकार,नई दिल्ली