विस्मित, आश्चर्यचकित
कर देता है एक दृश्य मुझको
गहन चिन्तन में डुबो देता है
हाँ ! वही दृश्य मुझको |
अविरल बहतीं नदियाँ,
सरगम गाते झरने
नृत्य करती समुद्र की लहरें
खुशहाली के संकेत देते
हरे वनों के पेड़-पौधे,
आत्मविश्वास से खड़ी
पर्वत की विशाल चट्टानें,
जल-पवन-अग्नि,
पशु-पक्षी-मानव
भूमि-अम्बर,
पुष्प-शूल, चन्द्र-सूर्य
निरन्तर दौड़ता समय,
समय की धुरी पर
घूमती पृथ्वी
इन सभी को बनाया है
ईश्वर ने
और एक बच्चे के कोमल हाथ
बना रहे थे उस ईश्वर को |
गहन चिन्तन में डुबो देता है
हाँ ! वही दृश्य मुझको |
मैले कपड़े, गन्दे हाथ
कितनी साफ़ मूर्तियाँ बना रहे थे
कुह्म्लाये हुए, मलिन चेहरे ने
बनाया था खिलता हुआ चेहरा
उस ईश्वर का |
झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले
उस मासूम ने,
सजाया था महल ईश्वर का
आभूषणों से वह अपरिचित था
फिर भी सुशोभित किया था
पाँव से सिर तक
उस ईश्वर को
विभिन्न आभूषणों से |
दुःख के रंग से ही
मेल-मिला था उसका किन्तु उसने
इन्द्रधनुष के रंगों में रंगा था
ईश्वर के नवीन वस्त्रों को |
इतनी सुंदर आकृति से
लज्जित होती थी प्रत्येक ससुन्दरता
परन्तु तनिक भी लज्जित
न होती थी
उसके भाग्य की प्रकृति |
गहन चिन्तन में डुबो देता है
हाँ ! वही दृश्य मुझको |
गौरव हिन्दुस्तानी
(बरेली, उत्तर प्रदेश )
9627577080