भोपाल । राज्य सरकार प्रदेश में गोशालाओं के विकास के लिए कर लगाएगी। सरकारी कार्यालय में अब गो-फिनायल का उपयोग किया जाएगा। आगर मालवा जिले के सालरिया गो-अभयारण्य को देश के आदर्श के रूप में विकसित किया जाएगा। इसकी विस्तृत कार्ययोजना बनाने के निर्देश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश गो-पालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को दिए। बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में गोशालाओं के विकास के लिए स्वयंसेवी संगठनों को काम दिया जाए। गोशालाओं का काम ही सेवाभाव है। स्वयंसेवी संगठन सेवाभाव रखकर गोशालाओं को अच्छी तरह विकसित कर सकते हैं। अशासकीय स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित गोशालाओं को अनुदान देने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए। साथ ही कहा कि प्रदेश की छह गोशालाओं को प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकसित किया जाए। जबलपुर जिले के गंगईवीर में गोवंश वन विहार की स्थापना की जाएगी। यहां पशुपालन विभाग की 530 एकड़ भूमि पर क्रमबद्घ तरीके से दो हजार गो-वंश को आश्रय दिया जा सकेगा। बैठक में बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। ज्यादा दूध देने वाले गो-वंश पर अनुसंधान करें उन्होंने अधिकारियों से कहा कि गो-वंश एवं नंदी की नस्ल सुधार के विशेष प्रयास किए जाएं। ज्यादा दूध देने वाले गो-वंशी पशु पर अनुसंधान करें। गो-उत्पादों के विक्रय के लिए व्यवस्था बनाने के साथ प्रचार-प्रसार किया जाए। गोशालाओं के विकास के लिए कर लगाने की योजना बनाने के साथ ही जनभागीदारी को भी बढ़ावा दिया जाए। बैठक में अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में दो हजार 200 गोशालाएं बनाई जाएंगी। गो-अभयारण्य को गो-पर्यटन का केंद्र बनाया जाएगा। इसके लिए पर्यटन विभाग ने काम शुरू कर दिया है। प्रदेश में बंद किए गए आठ गो-सदन फिर से प्रारंभ किए जाएंगे। बता दें कि प्रदेश में 20वीं पशु संगणना के अनुसार एक करोड़ 87 लाख 50 हजार गोवंश हैं।