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हाँ, थोड़ी-सी
भावुक हूँ मैं
छोटी-छोटी बातों में
बहकने लगती हूँ
मैं बस मैं ही हूँ ….
थोड़ी-सी
चंचल भी हूँ मैं
बच्चों के साथ
मस्ती में मस्त रहती हूँ ….
ख़्यालों से
आज़ाद हूँ मैं
आसमाँ में उड़ते
पंछी की तरह
बैखोफ हूँ में ….
ग़ुस्सा मेरा आग से
कम भी नहीं
जला दूँ ग़र बेवजह
तंग करे कोई…
स्वभाव मेरा महकाए
जहां को मेरे
इत्र हो जैसे
आफ़रीन की कोई …..
शान्त हूँ मैं
चाँद की तरह तो
तेज हूँ मैं किसी
ज्वालामुखी सी …..
● रीना अग्रवाल
सोहेला (उड़ीसा)