किसने खुशबू भरी फूलो में।
किसने इसमें रंग भरा ।
किसने इतने वृक्ष.उगाये ।
हरियाली से ढकी धरा।
उस ईश को हम नमन करें।
जिसने रंग – बिरंगे पुष्प उगाये।
उस ईश को हम नमन करें ।
जिसने हरे- भरे वृक्ष उगाये।
ऋतुएँ आती – जाती हैं ।
जो प्रकृति की छटा बिखेरति।
उस प्रभु का गुणगान करें।
जिसने धरा को सजाया।
जिसने खग को उड़ना सिखाया।
जिसने इनमें रंग भरा।
जिसने इनके पर को फैलाया।
जिसने विविध स्वरों को चहकाया
उस ईश की हम चरण-वन्दना करें
जिसने विविध खगों को अलंकृत किया
हे प्रभु ! हम प्रकृति का गुणगान करें ।
ऐसा हमको वर दो ।
हे प्रभु ! सदा हम इस धरा के पूत बनें ।
तेरे चरणों में शीश झुके ।
–अनुराग नेगी
केंद्रीय विद्यालय गोपेश्वर ,
उत्तराखंड