ऑंखे गड़गड़ाकर वह सेठ ग्राहको से अपने पैसे वसूल करने के लिए अपषब्दों की बौछार कर रहा था। रामलाल अपनी परिस्थिति का हवाला देता रहा लेकिन सेठ के मन में दया का सागर सूख गया था। मार्ग में विवेकषील एक सज्जन ने रूककर सेठ के पास रामलाल के बचाव में परिस्थिति संबंधी सारी बातों का हवाला देते हुए कुछ दिनों की मोहलत मांॅगी तो सेठ ने कहा – भलमनसई मत करो। मेरे रूपयों की पूरी रकम इसकी ओर से चुकाने की तुम जमानत देते हो तो मैं आपसे लिखा-पढ़ी कर दिन तय कर लेते है। निर्धारित तिथि पर राषि इसने न चुकायी तो मैं आपसे वसूल करूंगा। आप भी असमर्थ रहे तो कोई वाहन या अन्य चीज मेेरे नौकर ले कर आ जायेगें।
इसके बीच में रामलाल बोल पड़ा- विष्वास रखिए सेठ साहब! आप मुझ पर विष्वास रखिए। मै आपकी पाई-पाई चुका दूंगा। अपने शौक में कटौती तथाा घर की व्यवस्था में कम खर्च कर रूपयों की बचत कर आपके लिये अलग ही रूपयें जमा करता रहूॅंगा।
नाराजगी व गुस्सा दूर कर विनम्रता का भाव जगाइए। लक्ष्मी प्राप्ति हेतु अपमानित कर सामने वाले की समस्या कीे अनदेखी करना उचित नही है। सेठ! जैसा आपका सम्मान है वैसा ही हमारा भी सम्मान है। गरीब अवष्य है लेकिन सम्मान बेचा नहीं है। अतः थोड़ी सी मोहलत की उदारता से आप हमारे दिलों में उतर जाओगें। स्मृतिपटल पर आपकी उदारता लहरायेगी।
प्रदीप शर्मा
27, नर्मदा मार्ग महेष्वर
जिला खरगोन
मो. 9752986172