किताबें
करती है बातें
बीते जमानों की
दुनिया के इंसानों की
आज की, कल की
एक-एक पल की
खुशियों की, गमों की
फूलों की, बमों की
जीत की, हार की
प्यार की, मार की
क्या तुम नहीं सुनोगे
इन किताबों की बातें ?
किताबें कुछ कहना चाहती हैं
तुम्हारे पास रहना चाहती हैं
किताबों में चिड़िया चहचाहतीं हैं
किताबों में खेतियां लहलहातीं हैं
किताबों में झरने गुनगुनाते हैं
परियों के किस्से सुनाते हैं
किताबों में रॉकेट का राज है
किताबों में साइंस की आवाज है
किताबों का कितना बड़ा संसार है
किताबों में ज्ञान की भरमार है
क्या तुम इस संसार में
नहीं जाना चाहोगे ?
किताबें कुछ कहना चाहती हैं
तुम्हारे पास रहना चाहती हैं।
साभार-सुप्रसिद्ध जननाट्य मंच अभिनेता और लेखक- सफदर हाशमी,
प्रस्तुति मुनेश त्यागी,वरीष्ठ ऐडवोकेट, मेरठ,संपर्क-98371 51641
संकलन-निर्मल कुमार शर्मा,गाजियाबाद, उप्र,संपर्क-9910629632