थकान सी महसूस होने लगी है ।
इसलिए दूर तक निकलना छोड़ दिया है ।
पर इसका ये मतलब तो नही ना,
कि मैने चलना ही छोड़ दिया है ।
रिश्तों में दरारें अब उभरने लगी हैं ।
जो नजदीकियों को चुभने लगी हैं ।
इसका ये अर्थ तो नही ना,
कि मैंने अपनों से मिलना छोड़ दिया है ।
अब अकेलापन महसूस होने लगा है ।
अपनों की भीड़ बेगानी लगने लगी है ।
पर ऐसा भी नहीं है कि मैंने,
अपनापन जताना छोड़ दिया है।
मैं अपनों को हरदम ही याद करती हूं ।
और उनकी परवाह भी करती हूं ।
पर कितना और कैसे ,
बस बताना छोड़ दिया है ।
रश्मि वत्स
मेरठ उत्तर प्रदेश