पेट्रोल और डीजल की मांग में आ सकती है कमी: क्रिसिल

नई दिल्ली । सीएनजी का इस्तेमाल बढऩे, पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण और इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग की वजह से पेट्रोल और डीजल की मांग पर प्रभाव पड़ सकता है। क्रिसिल रेटिंग्स के मुताबिक चालू दशक में पेट्रोल और डीजल की कुल मांग वृद्घि घटकर सालाना 1.5 फीसदी रहने की संभावना है जबकि पिछले दशक में यह वृद्घि 4.9 फीसदी सालाना रही थी। रेटिंग एजेंसी ने कहा ‎कि भारत ने 2070 तक शून्य उत्सर्जन के स्तर पर पहुंचने का लक्ष्य बनाया है। इससे सबक लेते हुए तेल रिफाइनिंग कंपनियां पेट्रोकेमिकल जैसे विकल्पों को लेकर अपने उत्पादन मिश्रण में बदलाव करेंगी। क्रिसिल ने कहा कि उनके विश्लेषण से पता चलता है कि उत्सर्जन को नियंत्रित करने की सरकारी पहलों से इस दशक में परिवहन क्षेत्र में तीन बड़े मोर्चों पर असर पड़ेगा। वित्त वर्ष 2025 तक आक्रामक तरीके से सीएनजी और एथनॉल मिश्रण को अपनाने से पेट्रोल की मांग में वृद्घि को घटाने में मदद मिलेगी। उसके बाद इसकी मांग में और कमी आएगी क्योंकि सड़कों पर इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ेगी। इन पहलों से आने वाले वर्षों में डीजल और पेट्रोल की बिक्री में भारी कमी आएगी। क्रिसिल ने कहा ‎कि डीजल खपत वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2025 के बीच करीब 4 फीसदी चक्रवृद्घि सालाना वृद्घि (सीएजीआर) से बढ़ेगी लेकिन वित्त वर्ष 2025 से वित्त वर्ष 2030 के बीच सीएनजी वाहनों की संख्या में इजाफा होने के कारण करीब 2.5 फीसदी की कमी आएगी। सबसे बड़ी गिरावट पेट्रोल की बिक्री में नजर आएगी। पेट्रोल की खपत वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2025 के बीच 2 फीसदी सीएजीआर से बढ़ेगी और वित्त वर्ष 2025 से वित्त वर्ष 2030 के बीच यह वृद्घि घटकर एक फीसदी सीएजीआर की रह जाएगी। रिफाइनिंग कंपनियों ने प्रति वर्ष 4 से 6 करोड़ टन क्षमता वृद्घि की योजना बनाई हुई है। इसके अतिरिक्त वित्त वर्ष 2030 तक करीब 11 करोड़ टन की वृद्घि हो जाएगी। तब हो सकता है इसकी जरूरत नहीं रहने के कारण इसकी कटौती करने की जरूरत पड़े।