म्हारा मेदा का पिंड के ली गयो कागलो
मालवा में एक नानी के सेरमें आई के हुवो प्यार ,
श्याम वर्ण साफ्ट वेयरइंजिनियर से हुई आखा चार ,
बाप बोल्यो समाज के कईदिखावांगा मुंडो ,
ताबड़ तोब कई ने कई रास्तोजल्दी ढून्ड़ो
बड़ा बुडा ने समजायो नानाअबे मत अकडो,
जल्दी से अबे इनका ब्याव कोरस्तो पकड़ो ,
माँ बाप ने भी आव देख्यो नेताव ,
छोरी को आखा तीज पे मांडीद्यो ब्याव
डार्क कलर लाडो इतरातो हुवोलायो बारात ,
सबने खूब दारु पि ने कर दीआखी रात ,
आयो बिदाई को टेम सब की आखाथी नम
कोई भी नि छिपाई पाया थाबिदाई को गम
बिदाई को दरद एक बाप सेजादा कुन जाने ,
प्याई बेटी भी आब जाया बिनानी माने ,
आंदा छेड़ा में से काकी भाभीरोई री थी ,
गीत गई गई के लाडी की बिदाईहुई री थी
भाई बोलयो बेन थारी याद घनीआवेगी ,
अबे म्हारा से लड़ाई ने लाडकुन लडावेगी,
बाप बोलयो मत जा म्हारीप्यारी नानी ,
बाहर से आवा पे अबे कुनदेगो म्हारे पानी
माँ बोली म्हारो तो भाग जहुवो दोगलो ,
म्हारा मेदा का पिंड के लीगयो कागलो |
राजेश भंडारी “बाबु”
१०४ महावीर नगर इंदौर
९००९५०२७३४